अति उत्साह में नजर आ रहे विपक्ष के नेता _ बीजेपी निराशा में घिरी
लोक सभा चुनाव अब अंतिम दौर में है। आखरी फेज का मतदान एक जून को होगा और चार जून को चुनाव के परिणाम घोषित हो जाएंगे तब पता चलेगा कि जनादेश किसके पक्ष में आया है। फिलहाल तमाम राजनैतिक पंडित और चुनावी विश्लेषक जो अनुमान लगा रहे हैं उसके मुताबिक बीजेपी बहुमत से बहुत दूर हो गई है जबकि इंडिया गठबंधन बहुमत के करीब पहुंच गया है। बीजेपी की निराशा और विपक्ष के नेताओं के अति आत्म विश्वास से भी यही प्रतीत होता है।
अब तक 486 सीटों का मतदान हो चुका है और अंतिम चरण में मात्र 57 सीटों के लिए मतदान होना बांकी है। 1 जून को इंडिया गठबंधन की मीटिंग होने जा रही जिसमे सरकार बनाने की रणनीत पर विचार किए जाने की संभावना है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी अखिलेश यादव केजरीवाल तेजस्वी यादव उद्धव ठाकरे ममता स्टालिन डीके शिवकुमार रेड्डी सहित अन्य विपक्षी नेता 300 पार का दावा कर रहे हैं तो बीजेपी के नेता 400 पार का अपना दावा बरकरार रखे हुए है। इंडिया अलायन्स बहुमत के 272 जादुई आंकड़े को पार करते हुए 300 शीट तक पहुंचने के साथ ही सरकार बनाने की तैयारी करने की बात पूरे उत्साह से करने लगा है दूसरी तरफ भाजपा या एनडीए में कोई उमंग उत्साह नजर नहीं आता जिससे प्रतीत होता है की मोदी और शाह को आभास हो गया है कि इस बार कुछ गडबड है और अब तो सत्ता इस बार हाथ से निकल जायेगी।मोदी शाह इस जुगत में लगे हैं कि सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण राष्ट्रपति जब सरकार बनाने के लिए बीजेपी को आमंत्रित करेंगी तब इंडिया गठबंधन के दलों को डरा धमका कर किसी भी तरह से एनडीए में शामिल करके एक बार फिर सत्ता हासिल कर लिया जाए वरना इंडिया गठबंधन की सरकार यदि बनी तो भ्रटाचार की जांच शुरू हो जाएगी और बीजेपी के नेताओं को जेल जाना पड़ेगा। वे जानते है कि उनने जब निर्दोषों के जेल में डाल रखा है तो हम तो गले तक भ्रष्टाचार में डूबे हुए है फिर नई सरकार है हमे क्यों बक्सेगी।
यदि एक नजर कुछ प्रदेश के चुनाव पर डाली जाए तो राजनैतिक पंडितों का अनुमान है कि यूपी में बीजेपी को लगभग 20 सीटों का नुकसान हो रहा है यानी 2019 के 62 सीटों में से बीजेपी 20 सीट हार कर 42 सीट पर रह जायेगी क्योंकि राहुल प्रियंका एवम अखिलेश ने सामाजिक न्याय संविधान और अन्य स्थानीय मुद्दे जनता के सामने बहुत अच्छे ढंग से रखा जिसकी कोई काट मोदी शाह के पास नही रही । यदि महाराष्ट्र की बात की जाए तो वहा जो खेला मोदी शाह ने करके एनसीपी और शिवसेना को तोड़ दिया उसका प्रतिकूल असर पड़ा है जिसकी वजह से 2019 के मुकाबले 48 सीटों में से 41 सीट जीतने वाले एनडीए को इस बार मात्र 9 सीट मिलने की उम्मीद है।मतलब सीधे सीधे 31 सीट का नुकसान।
दिल्ली में 2019 में सातों सीट जीतने वाली बीजेपी को इस बार 4 सीट से ही संतोष करना पड़ेगा ।दिल्ली में आप पार्टी और कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर रही है।हरियाणा में 10 की 10 सीट जीतने वाली बीजेपी इस बार सिर्फ 2 सीट जीत रही है । इसका कारण मोदी सरकार है जो किसानों के आंदोलन को कुचलने का काम की साथ ही अग्निबीर योजना सेना में लाकर युवाओं की सेना में नौकरी 4 साल कर दी। इन दोनो वजहों से हरियाणा के मतदाता बहुत नाराज है।
पंजाब में आप पार्टी और कांग्रेस अलग अलग चुनाव भले लड़ रहे है पर यहां बीजेपी को एक भी सीट मिलने की उम्मीद नहीं है। विपक्ष ने पूरे देश में प्रचार किया कि मोदी तानाशाह है और यदि तीसरी बार मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश का संविधान बदल कर एक राष्ट एक नेता वाला कानून ले आयेगे जिसके कारण फिर कभी चुनाव नहीं होगा। यह संदेश मतदाताओं के दिलों दिमाग में छा गया है यही वजह है कि हर प्रदेश में बीजेपी या एनडीए की सीट कम होती प्रतीत हो रही है।
चुनावी चंदा में भ्रष्ट्राचार कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से करोड़ों रुपए चंदा लेना डरा डरा कर अनेक कंपनियों से करोड़ों रुपए का चंदा लेने वाली बीजेपी और उसकी सरकार के प्रधानमंत्री द्वारा ईमानदारी का ढोंग करने तथा चुनाव प्रचार में झूठ परोस कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास 2024 के चुनाव में विफल हो गया जिसकी वजह से एमपी राजस्थान सीजी तमिलनाडु कर्नाटक आंध्र तेलंगाना केरल मणिपुर बंगाल बिहार झारखंड गोवा एवम लद्दाख में भी बीजेपी की सीट बहुत कम होने का अनुमान है।
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