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सबके राम ....... कण कण में राम


अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरा देश राम मय में हो गया है । चारों तरफ भक्ति का वातावरण व्याप्त है। जगह-जगह भजन कीर्तन लगातार चल रहे हैं।  भगवान राम के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग अयोध्या जा रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि भगवान राम किसके हैं हिंदू के हैं या मुसलमान के हैं  । बौद्ध  के हैं या क्रिश्चियन के हैं । अमीरों के हैं कि गरीबों के हैं ।अगड़े के हैं कि पिछड़ों के हैं उच्च वर्गों के हैं कि दलितों के हैं। दरअसल भगवान सबके हैं। भगवान राम हो या भगवान कृष्ण अब किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। भगवान का हृदय बहुत विशाल है। मनुष्य को उन्होंने जन्म दिया है। भगवान के नजर में समस्त मनुष्य जाति उनके बच्चे हैं। वे सबके हृदय में विराजते हैं । कहा गया है की आत्मा ही परमात्मा है। आत्मा के रूप में परमात्मा  सभी मनुष्य के हृदय में विराजते हैं। मनुष्य एक ऐसा तुक्छ प्राणी है जो सबके साथ बहुत भेदभाव करता है। भगवान इतने दयालु हैं की जो उन्हें श्रद्धा भक्ति से मानता है उसे तो वे प्रेम करते ही हैं किंतु कोई मनुष्य यदि उन्हें नहीं मानता उनकी पूजा नहीं करता तब भी वे उससे प्रेम करते हैं। नास्तिक हो या आस्तिक भगवान राम सबके हैं। अच्छा हो या बुरा पुण्य आत्मा हो या पाप आत्मा भगवान राम सबके हैं। 
भारतीय दर्शन में यह बात जरूर है कि कर्म का फल हर व्यक्ति को मिलता है। गीता में कहा गया है कि कर्म फल सभी को मिलता है। भगवान राम अपने आप को भी कर्म फल से अलग नहीं करते और अपने कर्मों का फल स्वयं भोगने हेतु तत्पर रहते हैं। श्री रामचरितमानस गीता भागवत एवं अन्य धर्म ग्रंथो में यह बात स्पष्ट रूप से बताई गई है कि जहां रात  होती है वहां दिन भी होता है। जहां सूर्योदय होता है वहां सूर्यास्त भी होता है। अंधेरे के बाद प्रकाश जरूर होता है। हर जगह परमात्मा ने विपरीत चीजों का संसार बनाया है अर्थात दिन रात । सर्दी गर्मी ।सत्य असत्य । जमीन आसमान। मनुष्य राक्षस। पाप पुण्य। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी सृष्टि विपरीत चीजों से बनी हुई हैं।
परंतु राम अर्थात भगवान हर जगह विद्यमान है भगवान कण कण में व्याप्त है हर प्राणी के हृदय में। भगवान राम यदि मंदिर में है तो भगवान राम मस्जिद में भी हो सकते हैं। भगवान राम चर्च और गुरुद्वारा में भी हो सकते हैं। भगवान राम कहां नहीं है। भगवान राम का नाम दीजिए या कृष्ण का नाम दीजिए आप शिव कहिए या शक्ति का स्वरूप कहिए। आप अल्लाह कहिए गुरु नानक कहिए ईसा मसीह कहिए। सभी धर्म सभी पथ सभी मजहब। उस ऊपर वाले परमात्मा का है उसी ने बनाया है सब कुछ। इस अल्लाह के इशारे पर पूरी सृष्टि चलती है। परंतु हमारे अंदर इतना अहंकार और द्वेष भावना है कि हम एक दूसरे से भेदभाव करते हैं। यही कारण है कि हम अपने आप को अच्छा और दूसरों को बुरा कहते हैं। हम अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी तर्क देते हैं। जहां हमारा स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है वहां हम भारतीय दर्शन को दर किनार कर देते हैं। हम इतने स्वार्थ लोलुप है कि ईश्वर  या अल्लाह को भी झूठा बना देते हैं।
वास्तव में यदि हम आत्म चिंतन करें तो यह सब भेदभाव और हिंदू मुसलमान के बीच की दूरियां खत्म हो सकते हैं। आज भी अनेक ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं कि  मुसलमान के मजहब का पूरा सम्मान हिंदू करते हैं।वे मस्जिद जाते हैं मुस्लिम भाइयों से प्रेम करते हैं और इसी तरह मुस्लिम भाई हिंदू मंदिरों में जाते हैं हिंदू धर्म को मानते हैं पूजा करते हैं और हिंदुओं से प्रेम करते हैं। परमात्मा हो या अल्लाह या दूसरे मजहब के भगवान सभी का संदेश है की एक दूसरे से प्रेम करो भाईचारा बनाए रखो सद्भाव रखो। कोई भी मजहब हमें यह नहीं सिखाता कि किसी दूसरे व्यक्ति को दुख दो। रामचरितमानस में तो लिखा ही है कि परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर पर पीड़ा सम नहीं अधीमाई।  लगभग सभी धर्म ग्रंथो में कुरान में बाइबिल में इसी तरह का संदेश दिया गया है परंतु हम मनुष्य यह सब जानते हुए भी कुछ नहीं मानते। अंतत यह कहना उचित होगा कि राम सबके हैं। अल्लाह सबके हैं। गुरु नानक सबके हैं। ईसा मसीह सबके हैं। भगवान महावीर सबके हैं। भगवान बुद्ध सबके हैं।इसलिए विश्व शांति और विश्व कल्याण के लिए हम सबको प्रेम सद्भाव बनाए रखकर एक दूसरे के धर्म का सम्मान करना चाहिए।

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