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ईश्वर अल्लाह तेरो नाम


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भजन की उक्त पंक्ति आज भी प्रासंगिक है और सदैव अनंत काल तक प्रासंगिक रहेगी। वर्तमान में जिस तरह से विभिन्न धर्मो खासकर हिंदू मुस्लिम धर्म के मानने वाले लोगों के बीच नफरत के बीज बोकर आपस में कटुता उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है साथ ही कहा जा रहा है की एक दूसरे से खतरा है।दर असल अपने स्वार्थ के लिए या सत्ता पाने   की लालच में नेताओं द्वारा भाई भाई को बांटने की यह कोशिश मात्र है।
जहां तक  भारत में अनेक मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाने की बात है यह सच है किंतु काफी पुरानी है। मुस्लिम राजाओं ने मंदिरों को तोड़ कर धन लूटा और मस्जिद बना लिया था।देश स्वतंत्र होने के बाद इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है।इसलिए इतिहास की घटनाओं से वर्तमान में डरने की जरूरत नहीं प्रतीत होती।
राम जन्म भूमि में मंदिर का निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का मैं स्वागत करता हूं।अयोध्या में अनेक धर्मों के तीर्थ बने हुए हैं। जिस तरह राम मंदिर विश्व स्तरीय बन रहा है उसी तरह विश्व स्तरीय मस्जिद का निर्माण हो रहा है।हिंदू मंदिर में मूर्ति पूजा करते हैं जबकि मुस्लिम मस्जिद में नमाज अता करके निराकार अल्लाह की प्रार्थना करते है।निराकार और साकार दोनो तरीके से हिंदू भगवान की प्रार्थना करते है। ईश्वर तो एक ही है पर अलग अलग धर्म के लोग अलग तरीके से अपने अपने ईश्वर की प्रार्थना करतें है।कोई महावीर को तो कोई नानक को तो कोई बुद्ध के प्रति आस्था रखता है जो की उचित है।वैसे भी हमारा भारत देश विभिन्न धर्मों विभिन्न जातियों विभिन भाषा बोलियों वाला देश है। हम सभी का सम्मान करते हैं।गांधीजी का भजन कितना सुंदर है ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान।
भारत में ईश्वर ने अनेक बार मनुष्य के रूप में जन्म लेकर या प्रकट होकर पापियों का अंत किया है ।कभी राम के रूप में तो कभी कृष्ण के रूप में।संतों के रूप में भी भगवान इस धरती पर आते रहे है ताकि हमारे जीवन में आत्मिक उन्नति हो सके और हम सही रास्ते पर चल सके। हमारा जीवन कैसे सुखी और आनंदित हो सके इसके लिए संतों ने योग साधना तपस्या करके मार्ग दर्शन किया है।नानक कबीर मोहम्मद रैदास मलकू दास महावीर बुद्ध मीरा बाई एवम ईशा मसीह तथा ओशो जैसे अनेक संत व सदगुरु उदाहरण है जिनके प्रति आस्था और सम्मान सदियों से हमारे मन में है।फिर क्यों हमे अलग करने के लिए या एक दूसरे को लड़ाने की शाजिश की जाती है। क्यों दंगे फसाद करके निर्दोषों को मार दिया जाता है।क्यों खून की नदियां बहा दी जाती है ।यह ठीक  नहीं है ।यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है।
हमारे अंदर अच्छाई और बुराई दोनो हैं।हमारे अंदर राम भी हैं और रावण भी।हमे बुराई रूपी रावण को अपने अंदर से निकाल कर मारना है।हिंदू मुस्लिम एकता को बरकरार रखने में ही सबकी भलाई है सामाजिक सद्भाव भाईचारा और सभी से प्रेम की भावना बहुत जरूरी है।इस जगत में प्रेम से ताकतवर और प्रेम से अच्छी कोई दूसरी चीज नही है।वंदे मातरम ।

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