शहडोल 7 फरवरी । कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्रीमती वंदना वैद्य ने दंड प्रक्रिया 1973 की धारा 144 (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रतिबंधात्मक निषेधाज्ञा आदेश जारी किया गया। जारी आदेश में कहा गया है कि जिले की भौगोलिक सीमान्तर्गत कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक स्थल, आवासीय परिसर एवं अन्य किसी भी परिसर में बच्चों को गर्म सलाख से दागने की इस कुप्रथा एवं बच्चों को गर्म लोहे की सलाख से दागने को प्रेरित नहीं करेगा तथा प्रोत्साहन नहीं देगा और न ही स्वयं दागेगा बच्चो को दागने की प्रक्रिया पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगी।
जिले की सम्पूर्ण भौगोलिक सीमा की परिधि में किसी भी सार्वजनिक स्थल, आवासीय परिसर एवं अन्य किसी परिसर में बच्चों को गर्म सलाख से दागने तथा इस आदेश का उल्लंघन किए जाने की दशा में परिसर के स्वामी, प्रबंधक एवं संचालक के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी। जारी आदेश में कहा गया है कि
जिले के विभिन्न धर्म कई स्थानों पर कुपोषित कम वजन वाले तथा अन्य बीमारी से ग्रसित बच्चों का चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार करने के बजाय चिकित्सा शास्त्र से पूर्णतः अनभिज्ञ एवं गैर पेशेवर लोगों, घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा कुप्रथा एवं अन्धविश्वास के कारण उपचार के लिये बच्चों को गर्म लोहे की सलाख से दागने की प्रथा प्रचलित है। जिससे बच्चों को शारीरिक यातनाओं का सामना करना पडता है, बच्चों में संक्रमण फैलने की आशंका भी बनी रहती है। उपचार के आभाव में बच्चे असमय ही काल के गाल में समा जाते है उक्त कृत्य ओषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम 1954 की धारा 7 अंतर्गत दण्डनीय अपराध है, साथ ही भारतीय दण्ड संहिता के विभिन्न धाराओं के प्रावधान भी आकर्षित होते है। इस कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाना लोकहित में होने से दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है।
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