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कलेक्टर की मानवीय पहल पर दृष्टि बाधित बच्चों का हो रहा सर्वांगीण विकास

कलेक्टर की मानवीय पहल पर दृष्टि बाधित छात्रा क्रांति बैगा सहित 8 बच्चों को पढ़ाने के लिए वालेंटियर नियुक्त

कलेक्टर के निर्देश पर "एक कदम और फाउंडेशन" के सहयोग से 8 दृष्टिबाधित बच्चों के विकास का दिया जा रहा है ध्यान

पेण्ड्रा / कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी की मानवीय पहल पर नेत्र से दिव्यांग 8 बच्चों का समावेशी शिक्षा के तहत एक कदम और फाउंडेशन के सहयोग से सर्वांगीण विकास किया जा रहा है। नेत्र से दिव्यांग विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा छात्रा क्रांति और 8 नेत्र बाधित बच्चों की जानकारी को कलेक्टर ने संज्ञान में लेकर पहल किया है जिसके तहत जिले में नेत्र से दिव्यांग सभी छात्राओं के लिए अलग अलग वालेंटियर नियुक्त किए गए हैं।

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले के बैगा जनजाति बाहुल्य ग्राम साल्हेघोरी के मिडिल स्कूल ऊपरपारा में कक्षा सातवीं में अध्ययनरत विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग की 12 वर्षीय छात्रा कुमारी क्रांती बैगा शिक्षक देवी प्रसाद बंजारे और वालेंटियर की मदद से अंग्रेजी बोलना सीख रही है। वह अपना नाम, माता-पिता का नाम, बहन, गांव, जिला, प्रदेश, राजधानी, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति का नाम फटाफट अंग्रेजी में बोलने लगी है। क्रान्ति मधुर स्वर में छत्तीसगढ़ के राज्यगीत अरपा पैरी के धार मधुर स्वर में गाती है जिसे सुनने वाले सभी तारीफ करते हैं। दिव्यांग छात्रा की विशेष योग्यता से प्रभावित होकर ही जिले के नेत्र बाधित बच्चों के लिए वालेंटियर नियुक्त कर पायलेट प्रोजेक्ट के तहत कार्यक्रम संचालित किया गया है। इससे ऐसे दृष्टि बाधित बच्चे जो दृष्टि हीनता के कारण नियमित शिक्षा से दूर हो रहे थे तथा इन्हें सीखने का अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहा था, अब उन्हें अवसर प्रदान किया जा रहा है। इसकी समीक्षा कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी स्वयं कर रही हैं। इन दृष्टिबाधित बच्चों में प्रिया कक्षा 4 थी प्राथमिक शाला टीकरसानी, जितेंद्र कक्षा दूसरी प्राथमिक शाला छिंदपानी, आरती कक्षा 1 ली प्राथमिक शाला बोकरामुडा, सौरभ कक्षा 7 वीं माध्यमिक शाला गिरवर, अंजोर दास कक्षा 3 री प्राथमिक शाला डोंगराटोला, विरेंद्र कुमार कक्षा दूसरी प्राथमिक शाला राजाडीह एवं सोनाक्षी वाकरे कक्षा 1 ली प्राथमिक शाला मसूरीखार शामिल हैं। 
         
इस कार्यक्रम के अंतर्गत दृष्टिहीन बच्चों के परिवेश में से सहायक के रूप में वालंटियर का चिन्हांकन किया गया है। वालेंटियर उसी गांव के अथवा आस-पास के गांव के पढ़े लिखे युवक-युवती हैं। दृष्टिहीन बच्चों के शैक्षणिक एवं पुर्नवास संबंधी चुनौतियों की पहचान तथा उसके अनुरूप मानक स्तर का व्यवहार करना महत्वपूर्ण लक्ष्य रखा गया। वालेंटियर्स को अधिक संवेदनशील बनाने के लिए तथा अपेक्षित स्तर का ज्ञान कराने हेतु पहले प्रशिक्षण दिया गया ताकि वे दृष्टिहीन बच्चों के साथ अनुकुल व्यवहार कर सके।
          
दृष्टिबाधित बच्चों में संवेदनात्मक विकास में विभिन्न प्रकार का सतत प्रयास किया जा रहा है। जिसका यह सुखद परिणाम प्राप्त हुआ है कि बच्चों में अकादमिक उपलब्धि बढी है। साथ ही साथ बच्चों में आत्मविश्वास और स्वसम्मान की भावना से ओत-प्रोत हुए हैं। जिला प्रशासन का यह नवाचारी प्रयास न सिर्फ उन बच्चों के जीवन को सफल बनाने में सक्षम होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य दृष्टिबाधित बच्चों के सर्वागिण विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

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