सफेद भालू एक काले भालू के साथ दिखा
21 दिसम्बर 2020 को कुएं में गिरने से हुई थी दुर्लभ सफेद भालू की मौत
मरवाही में पहली बार 1995 में पहली बार मिली थी मादा सफेद भालू कमली, जिसे भोपाल के चिड़िया घर में रखा गया था
पेण्ड्रा / मरवाही के माड़ाकोट के जंगल में दुर्लभ प्रजाति का सफेद भालू देखा गया है। इस भालू को देखने के बाद एक ग्रामीण ने अपने कैमरे में उसका वीडियो रिकार्ड किया है। वीडियो में सफेद भालू के साथ एक काला भालू भी नजर आ रहा है।
सफेद भालू यानी पोलर बियर ध्रुवीय क्षेत्रों में पाए जाने वाला भालू है। जो कि कभी कभी मरवाही के जंगलों में भी दिख जाता है। बर्फीले स्थानों पर सफेद भालू पाया जाना आम बात होता है लेकिन मरवाही के जंगलों में पाया जाना दुर्लभ है। इस भालू के संरक्षण और संवर्धन की बेहद जरूरत है जिससे कि मरवाही क्षेत्र जिसकी पहचान भालू है, वह अपनी पहचान कायम रखे।
मरवाही वन परिक्षेत्र का माड़ाकोट का जंगल भालुओं का गढ़ है। जैसा कि गांव का नाम है माड़ाकोट जिसका मतलब होता है कि इस गांव के जंगल में बड़ी संख्या में माड़ा (पत्थरों में खोह) बने हुए हैं जो कि भालुओं का प्राकृतिक रहवास है। यहीं ये सफेद भालू देखा गया है। देखने से प्रतीत हो रहा है कि ये सफेद भालू कम उम्र का है। इसके पहले भी मरवाही के जंगलों में काले भालुओं के साथ सफेद भालू पाए जा चुके हैं। इस इलाके में भालुओं की अच्छी खासी संख्या है।
21 दिसम्बर 2020 को कुएं में गिरने से हुई थी दुर्लभ सफेद भालू की मौत
इससे पहले 21 दिसंबर 2020 को मरवाही वन परिक्षेत्र के ग्राम अंडी में किसान किसान सुंदर सिंह पिता गयादीन गोंड़ के बाड़ी में स्थित कुएं में दुर्लभ प्रजाति का एक वर्षीय सफेद भालू की गिरने से मौत हो गई थी। उस सफेद भालू की मां काले रंग की थी। क्योंकि उस भालू के कुएं में गिरने के बाद उसकी मां जोर जोर से चीख रही थी जिसकी आवाज सुनकर वहां पहुंचे ग्रामीणों ने उसे देखा था।
मरवाही में पहली बार 1995 में पहली बार मिली थी मादा सफेद भालू कमली, जिसे भोपाल के चिड़िया घर में रखा गया था
मरवाही के जंगलों में मादा सफेद भालू पहली बार वर्ष 1995 में मिली थी जिसे सबसे पहले इंदिरा उद्यान पेण्ड्रा के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था, जिसका नाम कमली रखा गया था। काले भालू के जंगल में दुर्लभ सफेद भालू मिलने का यह मामला पहली बार देखा गया था इसलिए दुर्लभ प्रजाति का होने के कारण इसे तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन द्वारा भोपाल के चिड़ियाघर ले जाया गया था जहां कई वर्षों तक यह सफेद भालू जीवित थी।
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