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स्त्री विरोधी कभी नहीं रहा भारतीय समाज=कमिश्नर

स्त्री विमर्श पर  शहडोल मानस भवन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी मैं देशभर के साहित्यकारों कवियों का शहडोल में लगा जमघट 
शहडोल ।  "मां तुम्हारे आंसू बहुत बड़े हैं और मेरी हथेलियों  बहुत छोटी  है । चिंता मत करना मां एक दिन ऐसा भी होगा मेरी हथेलियां होंगी बड़ी और तेरे आंसू छोटे होंगे ।" अपने गीत की इन पंक्तियों के साथ गत दिवस शहडोल संभाग आयुक्त वरिष्ठ कवि-कथाकार साहित्यकार राजीव शर्मा ने मानस भवन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर अपना वक्तव्य शुरू करते हुए कहा कि भारतीय समाज न स्त्री विरोधी था , न हो सकता है । कमिश्नर श्री शर्मा ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि स्त्री विमर्श को मैं उस दिन पूर्ण मानूंगा जिस दिन पूरे कार्यक्रम का आयोजन स्त्रियों के द्वारा हो, मंच संचालन स्त्रियों के द्वारा हो, और पुरुष वर्ग उस विमर्श में शामिल होने के लिए अपने आपको गौरवान्वित महसूस करें । श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति कभी भी स्त्री विरोधी नहीं रही, यहां तक कि हजारों वर्ष पूर्व आदि शंकराचार्य ने अपने आनंद लहरी स्त्रोत्र में लिखा है कि  शक्ति के बिना शिव शव समान हैं ।
भारतीय संस्कृति को जिन कलाकारों ने पाषाणों पर उकेरा, उनमें भी स्त्री की सहभागिता विस्मृत नहीं रखी ।
             "प्रत्यंचा- स्त्री विमर्श "  शीर्षक पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन शहडोल मानस भवन मे पूर्णेन्दु शोध संस्थान शहडोल एवं म.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन जिला इकाई  शहडोल व उमरिया के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुई।
       7 मई 2022 (पहला- दिन) को तीन--तीन सत्रों में चले इस "प्रत्यंचा स्त्री विमर्श" आयोजन में कई राज्य के साहित्यकार आलोचक एवं कवि शामिल हुए।  इस अवसर पर सबने अपनी रचनाओं एवं वक्तव्यों के माध्यम से संगोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान की । जिसे श्रोताओं ने आत्मसात किया । 
         7 एवं 8 मई को सम्पन्न हुई इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ सीमा अग्रवाल नवगीतकार ( मुम्बई )  और अध्यक्षता डॉ भारती शुक्ला कवि एवं समालोचक (जबलपुर) ने की । इस अवसर पर नलिनी केशव तिवारी ने स्वागत वक्तव्य दिया जबकि आयोजन की भूमिका संतोष कुमार द्विवेदी, अध्यक्ष म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन जिला इकाई उमरिया ने रखी ।  इस अवसर पर स्थानीय कवियों का साझा  संग्रह  "फूल पलाश के" का विमोचन किया गया ।  इस सत्र में "स्त्रीवादी चिंतन के विभिन्न आयामों पर क्रमशः नंदलाल सिंह वरिष्ठ समालोचक ( कटनी ) ने अपनी बात रखी । सत्र का संचालन डॉ गंगाधर ढोके, प्राध्यापक (पाली- उमरिया) ने किया। 
पहले दिन के दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ हरिप्रिया तुलसी (नीलमणि दुबे ) डीन हिंदी-विभाग शम्भूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल ने की। कवियों की बात और रचनापाठ के इस सत्र में डॉ मालिनी गौतम (गुजरात),  वंदना टेटे (झारखंड), बाबुषा कोहली (जबलपुर), डॉ आरती (भोपाल), नेहल शाह ( भोपाल ), अनु चक्रवर्ती (बिलासपुर),  इस सत्र का संचालन श्री अनिल मिश्र, वरिष्ठ कवि - उमरिया ने किया । 
         पहले दिन के तीसरे सत्र  में स्थानीय कवियों का रचनापाठ हुआ । इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ बघेली कवि रामसखा नामदेव (शहडोल) ने की । इस कवि गोष्ठी में में  क्रमशः अनूपपुर, शहडोल उमरिया, के स्थानीय कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया । इस सत्र का संचालन युवा शायर दीपक अग्रवाल (अनूपपुर) ने किया । 

 दूसरे दिन के पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ उर्मिला शुक्ल वरिष्ठ कथाकार समालोचक रायपुर ने की । सत्र की शुरुआत करुणा सिंह चौहान (सीधी) के लोकगीत से हुई । इस सत्र में आलोच्य कवि डॉ मालिनी गौतम, नेहल शाह बाबुषा कोहली की कविताओं पर  क्रमशः डॉ श्रद्धा श्रीवास्तव (भोपाल)  अरूणेश शुक्ला (भोपाल) डॉ गंगाधर ढोके (उमरिया) ने अपनी समीक्षा प्रस्तुत की,सत्र का आभार प्रदर्शन श्रीमती गोपी नवीन मिश्रा तथा संचालन मिथिलेश रॉय ने किया। 

दूसरे दिन के दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ सीमा अग्रवाल (मुंबई) ने की एवं आलोच्य कवि वंदना टेटे,अनु चक्रवर्ती    पर डॉ वीरेन्द्र (अमरकंटक विश्वविद्यालय) नंदलाल सिंह समालोचक कटनी ने अपनी समीक्षा दी   डॉआरती (भोपाल) की कविताओं पर डॉ कस्तवार धारा लिखित समीक्षा का पाठ  अरूणेश शुक्ल ने किया। आभार प्रदर्शन भूपेश शर्मा ने किया।  


दूसरे दिन संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता आयुक्त शहडोल माननीय राजीव शर्मा ने की। तथा सत्र के मुख्य अतिथि डॉ परमानंद तिवारी (प्राचार्य)  ने की।  इस अवसर पर माननीय आयुक्त महोदय ने स्त्री विमर्श पर अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया । समापन सत्र में सभी प्रति संगोष्ठी के आयोजक श्री संतोष द्विवेदी (वरिष्ठ-पत्रकार उमरिया) ने आभार ज्ञापित किया ।

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