ट्रक एवं डंपर क्यों जप्त नहीं किए गए
शहडोल। संभागीय मुख्यालय से मात्र 12 किलोमीटर दूर रीवा रोड में रोहनिया घाट सोन नदी की छाती छलनी करके एवं एनजीटी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन करके नदी के बीच धार से सुनहरी रेत का अवैध उत्खनन कर रही वंशिका ग्रुप के खिलाफ जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन कार्यवाही करने से क्यों कतरा रहा है यह बात अब समझ में आने लगी है।
कार्यवाही के नाम पर खनिज विभाग द्वारा सोन नदी के बीच में इस पार से उस पार बनाए गए रैंप को तोड़ने का जो काम किया गया है वह मात्र दिखावे के लिए है या यूं कहें कि मामले की लीपापोती की जा रही है। क्योंकि जिस तरह से रैंप तोड़ा गया है उससे ट्रकों एवं डंपर की आवाजाही नहीं रुक सकती है साथ ही बड़ी-बड़ी मशीनों से नदी के धार में जाकर रेत निकालने मैं कोई भी व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा। खनिज विभाग की यह कार्रवाई यह स्पष्ट करती है कि रेत माफिया से प्रशासन की जड़ें कितनी गहरी जुड़ी हुई है।
ट्रक एवं डंपर मशीनें
जप्त क्यों नहीं हुई
खनिज विभाग द्वारा सोन नदी के बीच धार में बने रैंप को जब तोड़ा जा रहा था तब उस समय घटनास्थल पर ट्रक डंपर एवं बड़ी-बड़ी मशीनें वहां मौजूद थी लेकिन खनिज विभाग ने एक भी वाहन जप्त नहीं किया। आखिर उन्हें क्यों छोड़ दिया गया इस कार्यवाही का आखिर क्या मतलब है।
क्या लंबी सेटिंग है
कुछ माह पूर्व जब इसी वंश का ग्रुप के खिलाफ जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की संयुक्त कार्यवाही के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर जब सुर्खियां बटोरी जा रही थी तभी कुछ पत्रकारों ने यह सवाल खड़ा किया था की यह कार्यवाही क्या आगे भी चलती रहेगी यह सेटिंग के बाद प्रशासन चुप हो जाएगा। इस सवाल का जवाब उस समय तो जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने गोल मॉल उत्तर देकर डाल दिया था परंतु अब यह बात समझ में आने लगी है कि उक्त कार्रवाई के बाद नए सिरे से अधिकारियों ने रेट तय कर लिए हैं या यूं कहे की रेट बढ़ाकर मामला तय कर लिया गया है और रेत माफिया को खुली छूट दे दी गई है।
क्या गलत है आरोप
कलेक्ट्रेट परिसर में मीडिया एवं राजनैतक दलों के प्रतिनिधियों के साथ रेत माफिया से जुड़े लोगों की चर्चा में यह आरोप लगते रहे हैं कि जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को इतने अच्छे ढंग से मैनेज किया गया है कि अब कोई माई का लाल वंशिका ग्रुप के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकता। यह आरोप यदि गलत है तो प्रशासन को कार्यवाही करके यह बता देना चाहिए कि रेत माफिया के खिलाफ प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार शहडोल जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन पहले की तरह आज भी निष्पक्ष है।
भ्रष्टाचार है या शिष्टाचार
भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं लेकिन यह कटु सत्य है कि भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मान लिया गया है और यही कारण है कि मंत्री हो या संतरी सांसद हो या विधायक मीडिया हो या सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी सभी हमाम के अंदर नंगे हो जाते हैं। फिर भी सरकारी कुर्सियों में बैठे बड़े बड़े अधिकारी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते और उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई है उसे सरकार के हित में और जनता के हित में पूरी निष्ठा एवं कर्मठता से अपने दायित्वों का निर्वहन करना पड़ेगा।
कौन कितना लेता है पैसा
यदि प्रशासन ने रेत माफिया वंशिका ग्रुप के खिलाफ इमानदारी से कार्यवाही नहीं की तो मीडिया को खुलकर यह उजागर करना होगा की जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन में बड़े-बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों को कितनी रिश्वत हर महीने दी जाती है।
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