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नेताजी की होशियारी उन पर ही पड़ गई भारी

   मुर्दों से पैसा वसूलने  वाले  अस्पताल के मालिकों को संरक्षण देने वाले कांग्रेसी नेता  जनता को क्या जवाब देंगे.   ?


शहडोल l डॉक्टर को भगवान कहा जाता है लेकिन जब डॉक्टर ही हैवान बन जाए तो मरीजों का विश्वास डॉक्टर रूपी भगवान पर कब तक टिका रहेगा यह एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है अभी हाल ही में शहडोल के एक निजी अस्पताल मैं भर्ती महिला मरीज के मरने के बाद भी उसके शव को वेंटिलेटर में रखकर परिजनों से पैसा वसूलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है l

 समाचार पत्रों की खबरों के बाद जिला प्रशासन ने एक टीम गठित कर मामले की जांच कराई और प्रथम दृष्टया अस्पताल के मालिकों एवं डॉक्टरों को दोषी मानते हुए अस्पताल को सील कर दिया पुलिस ने इस मामले में अस्पताल संचालकों के खिलाफ f.i.r. भी पंजीबद्ध किया है इस बीच अस्पताल के संचालक फरार हो गए और अभी भी फरार हैं यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है जिसमें यह बात लगभग स्पष्ट हो चुकी है कि मृतक महिला के परिजनों ने खेतवाड़ी बेचकर अस्पताल का लाखों रुपए चुकाया है इसके बावजूद ₹30000 और ना देने पर परिजनों को डेडबॉडी नहीं दी जा रही थी तब मीडिया के माध्यम से यह प्रकरण उजागर हुआ और मुर्दा खोर अस्पताल के मालिकों की करतूत आम जनता के सामने आईl

उक्त घटना के बारे में जिसने भी सुना उसने अस्पताल मालिकों को भला बुरा कहा परंतु रविंद्र तिवारी नामक congresh नेता जिसे नगर पालिका चुनाव में 17000 मतदाताओं ने अपना विश्वास प्रकट किया था ऐसे नेता ने आम जनमानस की भावनाओं पर कुठाराघात करते हुए मुर्दा खोर एवं  पुलिस के शिकंजे से  बचने के लिए फरार अस्पताल मालिकों का पक्ष लेते हुए उन्हें निर्दोष बताने का प्रयास किया यहां तक कि पत्रकार वार्ता आयोजित कर प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ को भला बुरा कहते हुए धमकी दे डाली l

 मीडिया के बलबूते नेतागिरी में अपनी पहचान बनाने वाले इस नेता ने इतनी ज्यादा होशियारी दिखा दी कि यह होशियारी उन पर ही भारी पड़ रही है इस नेता ने मीडिया कर्मियों को अपमानित करते हुए जिस ढंग से पत्रकार वार्ता का आयोजन किया उससे नाराज पत्रकार गणों ने एडीजी को एक ज्ञापन सौंप कर यह मांग की है कि अपराधियों को बचाने वाले इस नेता को सह आरोपी बनाया जाए  l

मीडिया के पलटवार के बाद पता चला है कि यह तथाकथित नेता बचाव की मुद्रा में आ गया है और इसकी धड़कनें बढ़ गई हैं दरअसल मीडिया को आईना दिखाने की दरकार करने वाले ऐसे लोगों का यही हश्र होता है lमीडिया तो समाज को आईना दिखाती है समाज और राष्ट्र की सेवा करती है इसीलिए इसे प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है यदि न्यायपालिका और पत्रकार रूपी खबर पालिका  अलर्ट ना हो तो राजनीति को गंदा करने वाले और समाज को दिग्भ्रमित करने वाले ऐसे लोग  देश को गर्त में ले जाने से न चुकेl

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