*आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
बापू राम-राम, अबै कछू और दिन रूको,
ऐसो न करियो कि पितरा पूरे भये और लौटवे की गैल ढूंढन लगे । हम सब औरन ने दो अक्टूबर के दिन
पूरे रीति-रिवाज से आपकी याद कर लई ।
आपने भी अखबारन में पढो हुइये । छोटी---बडी
खबरें खूब छपीं । गाना
भजन भी बजत रहो ।
बिना लागत के और मेहनत के , जीसें जौन बनो, सबने आपको नाम लओ और अपने आप खों महान देश भक्त को दर्जा भी दओ । चार छै: दिन तक रंग--बिरंगे , छोटे--बडे अखबार में फोटो शोटो छपने , सो सब देख के लौटियो,
जल्दी न मचाये करो ।
हओ, टीवी समाचार में कवरेज ईसे कम आई कि तालिबान की खबरें जरूरी हो गईं ।
बापू ! तुमाई अहिंसा किताब में छ्प कै रह गई
और हिंसा तो रायते सी
बगर गई ।
तुम पइयां--पइयां
चलत ते ना , दांडी मार्च
और बिलात भरी यात्रायें पैदल करत हते । देश भर में सब लोग अब गाडियन से चलन लगे
जा बात प्रधान सेवक ने ताड लई । उनने, मन में ठान लई कि गांधी के देश में अगर लोग पैदल नहीं चलेंगे तो क्या जिन्ना के देश में पैदल चलेंगे, आप तो सब जानत बापू कि पडौसी सबसे बडो दुश्मन होत । बस !
कमर कस लई प्रधान सेवक ने, रामदई बापू
पेट्रोल-डीजल के ऐसे दाम बढाये ऊने कि अब सबर रखो, सब पैदल चलवो शुरू करहें ।
कछू कहो बापू ! एक नेता यानि प्रधान सेवक तो तुमाओ पक्को चेला निकरो । संघ के जितने नामी-गिरामी नेता रहे, उन सबसे आग तुमें करखें ऊने कांग्रेसियन खे धूल चटा दई । बापू कबहऊं तुमने कई हुइये जा बात कि आजादी के बाद कांग्रेस भंग कर देना चाहिये । ईने सुन लई।
याद कर लई। अब अमल करवो शुरू कर दओ ।
डरा खे, धमका खे,
खरीद खे , चाहे जौन पैंतरा चलने पडे, ओई
पैंतरा से पटखनी दै--दै
के ईने कांग्रेस की सरकार गायब कर दईं ।
तुमाओ चश्मा लै लओ,
और झाडू लै लई । बस
बारीकी से देख देख के
बडे बडे बैंको पै झाडू
लगाई । कोयला खदान,
रेल्वे, एयर इण्डिया,
बी एस एन एल, साफ कर दये । स्वच्छता पसंद आदमी है । सच्ची बापू
शौच से लेकर सोच को तरीका बदलने को हौसला एईमें है ।
खादी के लाने भी कछू जुगाड चल रई । हरिजन
जो आपको पसंद थे फिर कांग्रेस ने उनके मन में जगह बनाई, कांशीराम ने उनकी सरकार तक बनवाई,
माया जब तक चली सो चली फिर प्रधानसेवक ने जो झाडू हाथ में पकडी बापू हर--हरा खे हरिजन पीछे चलन लगे प्रधान सेवक के ।
31 अक्टूबर के दिन
और बातें सामने आहें
लेकिन एक बात तो साफ हो गई, बापू कि
तुमाओ भारत अब बहुत बदल गओ । रामराज
और स्वराज पीछे छूट गये । कम्पनी राज की आंधी चल रई बापू !
लघु उद्योग और कुटीर उद्योग प्रदर्शनी की इकाई बन गये और ब्रांड,मार्का, के झण्डा लहरा रये । हमें मालुम है कि आगे भी ओई होने जो होने है सो, रो वे, धो वे, से का मतलब । आपको भजन सच्चो है,
"रघुपति राघव राजाराम
सबको सन्मति दे भगवान ।
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