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एडजस्ट करना सीखो

 *आवारा कलम से*दिनेश  अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार


      आसन से उठकर बाहर सडक पर खडे गणेश जी हैरान और परेशान से दिखे । कुछ ढूंढने की विचलित मुद्रा

में उन्होंने एक भक्त से पूंछा-: आपने मूसक को देखा है क्या ? मेरा चूहा कल रात से दिखा नहीं और कुछ लड्डू भी कम हैं । भक्त ने कहा -: प्रभू

आप आसन ग्रहण करें । आरती का समय हो रहा है । आपका वाहन कोई दूसरा उपयोग में नहीं ले सकता , हां संभव है कि शायद आस--पडौस में गया हो लौट आयेगा ।

   चिंताहरण स्वंय चिंतातुर दिखे, बोले शहर के कई  घरों से खबर आईं है । कई  चूहे गायब हैं । पता नहीं ऐसा इस बार क्यों हो रहा है ?

      भक्त बोला-: आपने कुछ ऊंचा नीचा तो नहीं कहा जिससे नाराज हो कर रूठा हो ?

       मेरी बात का वह कभी बुरा नहीं मानता यह कहते हुए गणेश जी ने बताया कि कल वह घबराया हुआ बहुत था बाहर 15---- 20 गाड़ियां

 शूटर शूटर बजाती हुई रैली के रूप में निकली ध्वनि प्रदूषण से हैरान परेशान होकर चूहा घबरा गया और वह कहीं चला गया ना जाने क्यों गाड़ियों का यह काफिला शोर मचाता निकला, अब मैं क्या करूं ?

   भक्त बोला प्रभु शहर में नए अधिकारी आए हैं नए अंदाज से शहर का जायजा ले रहे हैं ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे उसी के संदर्भ में वाहनों की रैली निकली और हूटर शूटर बजाए गए आप आवाज दें और अपने मूषक को बुला लें डर के कारण कहीं किसी  बिल में छुपा होगा ?

      गणेश जी बोले-: हर साल तो मैं इस शहर में हफ्ते भर के लिए आता हूं  ।  जहां तक मेरा अध्ययन है, यह शहर शांत है, शालीन है,  सद्भाव और समभाव का प्रतीक है। एकता और प्रेम का यहां अद्भुत समन्वय है फिर ऐसा हृदय विदारक तामझाम क्यों होता हैं ?

   भक्त उवाच ! प्रभु किसी बात को इतनी गंभीरता से क्यों लेते हैं सबको एडजस्ट होने में थोड़ा टाइम लगता है आपका चूहा इस वातावरण से अपने आप को एडजस्ट कर लेगा आइए चलें आरती का वक्त हो गया कहीं आप की लेट-लतीफी से और भक्त गण निराश होकर न चले जाएं फिर उन्हें एडजेस्ट करने में बहुत समय लगेगा ।

     आपको यह बताना मैं जरूरी समझता हूं प्रभु कि नए अधिकारियों ने बड़े-बड़े रेत के तस्करों पर सख्ती दिखाई इतने बड़े काम पहले कभी नहीं हुए , कई नदियां रेत से खाली हो गईं । रेत के रेट बढ़ गए । लोगों की जेब कट गई ।  निर्माण कार्यों की लागत बढ़ गई लेकिन तब कोई कार्यवाही नहीं हुई, जो अब हो रही है ?

    प्रभु भारी कदमों से आसन की ओर लौटने लगे कनखियों से भक्तों को देखकर बोले एक तो बरसात का मौसम चल रहा तरह-तरह की बीमारियां हैं आगे मौसम सामान्य होते ही सब एडजस्ट हो जाएगा वह देखो सामने से चूहा भी चला रहा है । चलो बुलाओ सभी को, पूजा पाठ शुरू करो ।

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