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आओ अमेरिका तुम्हें सड़क दिखाएं

 *आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार


    आओ ! अमेरिका     हम  तुमें,  अपने आसपास की दानेदार ,खुरदुरी और स्वीमिंग डिजायन की सडकें दिखायें । तुम और तुमाये इंजीनियर अगर मात न खा जायें तो हमाओ नाम बदल दइयो । अब  हम लोग लगे है कि पूरी सडकें विश्व घरोहर घोषित हो जायें । सो बस ! फिर कोऊ माई के लाल में दम नईंया कि हमें विश्व गुरू बनवे  से रोक दे ।

   उम्दा काम हम लोग खुद तलाश लेत । बेटा , अमेरिका ,  तुम हमाये परधान सेवक के दोस्त आओ , एइसे नौनी  बात समझा रये  कि कछू हाथ-पांव चला खे  हमाई सडकन खों विश्व धरोहर घोषित करा दो ।

   पक्को वचन हम दे रये कि धरोहर एसई धरी रैहे , जब तुमाओ मन परे , तब आ के देख लइओ  । धरोहर टस  से  मस  न  हुइये । 

  हम भारत के लोग अब आत्म निर्भरता के टोलप्लाजा पे खडे , बस

इते से बाहर निकरे  और फास्ट टैग की तरह काम करन लगहें । हम लोग सडक पे जगह-जगह परनाम करत आगे बढत सो ऊखें तुम लोग सोचत हुइओ  कि भारत के लोग गिरते-पडते चलते हैं । घटिया मानसिकता छोड दो । हमें मालुम है

कि तुम अफगान छोड सकत लेकिन अपनी मानसिकता नईं छोड सकत  ।

सुनो अमेरिका !

   हमाये इते पितरा लग गये । सब पितरा आहें ,  देखहें , खुशी से आंसू  बहा हें  कि उनकी सन्तानें ऊसई गढवा -- खड्डा में गुजर बसर कर रई ,जायेमें  हमने   जीवन  बसर  करो तो ।  पीपर  पे  लटके पडौसी के पितरा सलाह दै रये थे कि जवान लड़का सडक के गड्ढा में मछरिया पाल के आत्मनिर्भर देश की नजीर बन सकत । हालां कि अपनो अरग पावे के बाद वे चले गये । नईं तो देर तक मन की बात बताऊते । 

    लोगन की बातन पे न जइओ अमेरिका । लोग तो जो भी कहत ते कि 

पितरन में अच्छे काम नई होत । सरकार ने स्कूल खोल के लोगन की कहावत पे तारो जड दओ ।  वैसे सही बात तो जा आये कि नई शिक्षा को समझवे में नये लोगन को तो दिमाग काम नई  कर रओ, पितरा का खाक समझहें । अब नई  उमर के नौनिहाल  देखेंगे कि उनको विरासत में ऐसी सडकें मिल रहीं है जो  गर्व से सिर उठा कर चलने का हुनर भी सिखातीं है । यही है

विश्व-धरोहर  ।

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