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क्या यही है आजादी का मतलब,,,,?

 


शहडोल  l देश  75  वां   स्वतंत्रता दिवस मनाने जा  रहा है l15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से हमारा भारतवर्ष आजाद हुआ था देश को आजादी दिलाने वाले अमर शहीदों को हम देशवासी आज के दिन याद करते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हैं l 15 अगस्त को हर साल पूरे देश में आजादी का जश्न मनाया जाता है हर्षोल्लास के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है परंतु आजादी के 74 साल बाद भी देश में गरीबी  बेरोजगारी भ्रष्टाचार बेईमानी हिंसा दंगे फसाद आतंकवाद नक्सलवाद एवं महंगाई जैसी समस्याओं से देशवासी जूझ रहे हैं इतना ही नहीं समस्याएं कम होने की बजाएं बढ़ती ही जा रहे हैं कोरोना महामारी ने तो घी में आग का काम किया है  l

आजादी के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की महामारी देशवासियों के सामने आई है जिसमें भारत के लाखों लाखों लोग काल के गाल में समा गए दुनिया में तो करोड़ों की संख्या में लोगों को इस महामारी ने लील लिया है पिछले डेढ़ वर्ष से लगातार इस आकस्मिक समस्या से देशवासी और सरकारें उबर नहीं पा रही हैं लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है पर्याप्त वैक्सीन नहीं आ पा रही है जबकि तीसरी लहर की आशंका से हम सबके हाथ पैर फूल रहे हैं l

जहां तक आजादी का सवाल है 75 सालों में आजादी का मतलब समझ में नहीं आया गरीब और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं अमीर और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं यह और आ समानता क्यों है क्या यही आजादी है  l सरकारी बदलती रहती हैं चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन चुनाव के बाद फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है मतदाताओं से वादे तो कुछ किए जाते हैं किंतु निर्वाचित होने के बाद सांसद और विधायक अपना स्वार्थ सिद्ध करने में ज्यादा ध्यान देते हैं इनके वेतन और भत्ते और लगातार इनकी बढ़ती संपत्ति और वैभव देखकर तो यही लगता है कि देश की जनता को आजादी के पहले जो दुख और परेशानी झेलनी पड़ती थी वही या उससे अधिक दुख और परेशानी आजादी के बाद भी सहनी पड़ रही है l

आजादी के पहले जो प्रेम और सद्भाव लोगों में दिखता था आजादी के बाद जहर घोलने का काम किया जा रहा है भाई भाई को लड़ाया जा रहा है धर्म और जाति और संप्रदाय के नाम पर झगड़े और दंगे करा दिए जाते हैं क्या यही आजादी है  lयदि यही आजादी है तो फिर अंग्रेजों की गुलामी ही कौन सी बुरी थी 1947 के पहले अंग्रेज शासन करते थे अंग्रेजो के खिलाफ जो बोलता था उस पर डंडे बरसाए जाते थे या जेल में ठूंस दीया जाता था l

 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस तात्या टोपे  मंगल पांडे भगत सिंह लाला लाजपत राय बाल गंगाधर तिलक गोपाल कृष्ण गोखले रानी लक्ष्मीबाई चंद्रशेखर आजाद शिवाजी महाराज शिवाराम राजगुरु एवं उधम सिंह जैसे अनेक अमर शहीदों ने अंग्रेजों की गोलियां खाकर देश को आजाद कराया है आज यदि वे जिंदा होते तो उन्हें भी बहुत तकलीफ होती और वह यह जरूर कहते की ऐसी आजादी किस काम की है इससे तो अच्छा अंग्रेजों का शासन काल था  l 

भ्रष्टाचार की यदि बात करें तो छोटा सा छोटा काम भी सरकारी दफ्तरों में सुविधा शुल्क का भुगतान किए बिना नहीं होता जिनके पास पैसे नहीं होते उनकी चप्पलें घिस जाती है सरकारी ऑफिसों का चक्कर लगाते लगाते l पर काम नहीं होता नेता और अधिकारी ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के लिए सही गलत धंधे करने से नहीं चूकते l

कोल माफिया हो यह रेत माफिया सब मिलकर सरकार को चूना लगाते हैं धरती और नदियों को छलनी करते हैं और आम जनता का खून चूसते हैं l गरीब आदमी को घर बनाना हो तो ₹300 ट्राली मिलने वाली रेत हजारों रुपए में खरीदना पड़ता है गरीब आदमी यदि चाहे की गांव की किसी नदी से घर बनाने के लिए कुछ ट्राली रेत निकाल ले तो उस पर कानून की इतनी धाराएं लगा दी जाती हैं परंतु यदि नियमों को धता बताकर रेत माफिया बड़ी-बड़ी मशीनों को नदियों में उतार कर सैकड़ों डंपर रेत का उत्खनन कर लेता है तो उसे कोई नहीं बोलता  क्या यही है आजादी lयह गंभीर सवाल हर एक देशवासी के हृदय में गूंज रहा है जय हिंद जय भारत l

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