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सरकारी उद्योग धंधे निजी क्षेत्र के हवाले

 लोगों की रोजी-रोटी छिन जाएगी बहुत लोग हो जाएंगे बेरोजगार

 शहडोल l वर्तमान सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के कल कारखानों और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को निजी क्षेत्र को बेच रही है, उसकी योजनाओं और नीतियों में जनता की भलाई के लिए बनाया गया तमाम सरकारी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को समाप्त करके कारपोरेट जगत (निजी क्षेत्र) को सौंपना है। कारपोरेट जगत को सिर्फ अपने फायदे की चिंता रहती है, आम नागरिकों के प्रति उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं होती और न ही सामाजिक सरोकार होता है। सरकारी उद्योग धंधे निजी क्षेत्र के हवाले होने से काफी लोग बेरोजगार हो जायेंगे, उनकी रोजी रोटी छीन जायेगी।

छोटे उद्योग धंधों का खात्मा

 कारपोरेट जगत निष्ठुर और निरंकुश होते हैं। वह मनमाने ढंग से जब चाहे तब श्रमिकों की छटनी भी कर सकते  हैं। साथ ही साथ  देश के आर्थिक ढांचे को निजी क्षेत्र (कारपोरेट जगत)को सौंपने से ही छोटे, मझौले और कुछ बड़े कारोबार और धंधों का हमेशा के लिए खात्मा हो जाना तय है। मजबूरी वश कारपोरेट साम्राज्य से ही रोटी का जुगाड हो सकता है। इस तरह आम नागरिक कारपोरेट साम्राज्य का बंधुआ बनने को बाध्य होंगे। सबसे ज्यादा मार पिछड़ी ओबीसी जातियों और दलितों  पर पड़ेगी।

अखिल भारतीय जायसवाल समाज की  चिंता

 ऐसे में "अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा" के प्रदेश अध्यक्ष श्री ध्रुवचंद्र जायसवाल जी की चिंता और असंतोष समीचीन है। उनके द्वारा भारत सरकार से निजी क्षेत्र (प्राइवेट सेक्टर) में भी पिछड़े ओबीसी जातियों और दलितों के लिए आरक्षण के लिए अध्यादेश जारी करने की अपील सामाजिक न्याय, सामाजिक सरोकार और सामाजिक समरसता हेतु सरकार की प्रतिबद्धता प्रमाणित होगी।            

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