आरोप है कि शहडोल कोतवाली में मारपीट Se गोरखनाथ की मृत्यु हो गई थी
पुलिस ने मृतक को जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया था और अस्पताल में ही मौत होना बताया था
शहडोल2जुलाई। बहुचर्चित गोरखनाथ हत्याकांड का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है क्योंकि इस हत्याकांड में शहडोल के सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक आर राजन एवं रिटायर्ड टीआई शंखधर द्विवेदी समेत चार पुलिसकर्मी आरोपी है जिन्हें बनारस की जेल में रखा गया हैl
शहडोल थाने के1997के चर्चित गोरखनाथ हत्यकांड के4आरोपियों की जमानतआवेदन पत्र को विगत30जून2021को बनारस कोर्ट ने निरस्त कर दिया है, जिसके कारण चारों आरोपियों आर राजन, शंखधर द्विवेदी, शेर अली और जगत सिंह को अगले आदेश तक बनारस जेल में ही रहना होगा।। कोर्ट निर्णय के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर आरोपी गण13अप्रेल21को रिमांड मजिस्ट्रेट बनारस के समक्ष उपस्थित हुए तो मजिस्ट्रेट ने उनकी अर्जी पीठासीन कोर्ट के पास भेज दिया।कोर्ट ने14अप्रेल को शंखधर द्विवेदी और15अप्रेल को आर राजन को बनारस जेल भेज दिया।चारों आरोपियों ने जेल सेजमानत याचिका दाखिल की जिस पर विचार करने के बाद वाराणसी के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या1श्रीसंजीव कुमार सिन्हा ने30जून को जमानत याचिका को निरस्त कर दिया।
क्या है मामला
मृतक के पुत्र द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक संक्षिप्त में इस घटना के बारे में यह कहा जा सकता है कि 24 वर्ष पूर्व वर्ष 1997 मैं ट्रांसपोर्टर सुरेश कुमार अग्रवाल निवासी शहडोल के साथ मिलकर kotwali के तत्कालीन थाना प्रभारी श्री राजन के कार्यकाल में उप निरीक्षक शंखधर dwivedi सिपाही शेर अली एवं एक अन्य पुलिसकर्मी की टीम उत्तर प्रदेश मैं रहने वाले मृतक गोरखनाथ उर्फ ओम प्रकाश यादव के घर गई और उसे मारते पीटते हुए जबरन गाड़ियों में बिठाकर शहडोल ले आई और ट्रांसपोर्टिंग के अपराध का एक प्रकार पंजीबद्ध कर लिया तथा kotwali शहडोल में हिरासत में रखकर इतनी ज्यादा मारपीट की गई कि उसकी मृत्यु हो गई बाद में मामले की लीपापोती करने हेतु मृतक को जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया और यह दर्शाया गया कि मृत्यु से 1 घंटे पूर्व जिला चिकित्सालय में भर्ती था. I
मृतक के शरीर में चोट के निशान
यह भी आरोप है कि गोरखनाथ की मौत के बाद सूचना मिलने पर उत्तर प्रदेश से जब तक का पुत्र एवं उसके परिवार के लोग शहडोल आए तब आरोपियों ने बतख के परिवार पर दबाव बनाया एवं धमकी दी की 100 को शहडोल में ही दफना कर जाओ और दुबारा यहां कभी देखना नहीं वरना यही हाल तुम्हारा भी होगा आरोपियों की धमकी एवं दबाव के कारण मजबूरी में मृतक को शहडोल में ही परिवार के लोगों ने दफनाया और वापस जाकर फूलपुर थाने में घटना की रिपोर्ट लिखाई मृतक के पुत्र का आरोप है कि उसके पिता के मृत शरीर में चोट के काफी निशान थे जिससे यह पता लगता है कि थाने के अंदर उनके साथ पुलिस द्वारा मारपीट की गई थी जिससे उनकी मौत हुई है l
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