*आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
शहडोल l सबसे सस्ते और सुलभ होते हैं ख्वाब--। सच मानिए ! जो देखते हैं, वही इसकी खुशबू को पहचानते हैं ।
इनके सुकून का अहसास करते हैं । ख्वाब बहुत अच्छे होते हैं ।अगर इसे परिभाषित करें तो समस्यायों से भरे कठोर जीवन के यह शीतल झरने होते है ।
आप भी देखें-- आपने पहले भी ख्वाब देखे होंगे । ख्वाबदेखने में बहुत आनंद आता है । कोई माई का लाल इनका निजीकरण नहीं कर सकता, क्योंकि यह पहले से ही निजी होते है, जितने लोग होते हैं उतने प्रकार के ख्वाब होते हैं । यह उम्र भी नहीं देखते और वातावरण भी नहीं देखते जब आते हैं, तो बस ! खुशबू लिए चले आते हैं ।
एक ख्वाब मैंने भी देखा । आपके साथ शेयर कर रहा हूं । अगर पसंद आए तो आप भी देखिएगा । ऐसा करने में वक्त जरूर लगेगा, मगर पैसे नहीं लगेंगे । फ्री में यह सुविधा उपलब्ध है ।
तो चलिए बतलाता हूं मैंने क्या देखा कि अपने जिले के कलेक्टर हर ब्लॉक में जाकर के सीएमएचओ के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं और वहां उपलब्ध स्टाफ को यह समझाइश दे रहे हैं कि दूसरी लहर गुजर जाने के बाद कोविड-19 की जो तीसरी लहर आने वाली है, उसका इस वक्त इंटरवल चल रहा है । इंटरवल यानी मध्यांतर अथवा आधी छुट्टी --।इस वक्त का लाभ लेना हैं , तो कलेक्टर पूरे स्टाफ को समझाइश दे रहे हैं कि अचानक आने वाली बीमारी के दौरान मरीजों के साथ आपको किस प्रकार का व्यवहार करना है, उन्हें कैसी स्वास्थ्य सुविधाएं देनी है । इसमें आपको क्या दिक्कत आने वाली है, अभी आप बतला दें ? हम भी शासन से आग्रह करके अगली व्यवस्था कर लें ।
वन विभाग के अमले को कलेक्टर साहबji समझा रहे हैं कि वे लकड़ी का पर्याप्त इंतजाम रखें ताकि भारतीय समाज पर टूटकर आई इस विपदा में कोई व्यक्ति अंतिम संस्कार के अभाव में दु:खी ना हो । वैसे अब तो विद्युत शव दाह होने चाहिये । अभी वक्त है कि हम पैरामेडिकल और नाॅन पैरामेडिकल स्टाफ को भी अच्छे व्यवहार बरतने की सीख दें । जहां तक शौचालय की संख्या का सवाल है उसे बढ़ाया जाये, साफ सफाई की सुविधा बढ़ाई जाये और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर लें । ख्वाब, यह भी हमें बतलाते हैं कि अब जीवन करवट बदल चुका है । संकट आने ही आने हैं । वायु प्रदूषित होने वाली है । ऐसी परिस्थिति में अब जो जीवन हम गुजार चुके वह लौट कर आने वाला नहीं है लेकिन जो विपदा आने वाली है उसकी तैयारी हमने ख्वाबों में होती देखी ।
ऐसा लगा कि जगह-जगह कोवेट सेंटर इसलिए बन रहे हैं ताकि मेडिकल कॉलेजों के ऊपर एक साथ भीड़ न टूटने पाए । आपात स्थिति को देखते हुए मरीजों को वहां भेजा जाए । इसके लिए आपातकालीन वाहन व्यवस्था अथवा एंबुलेंस जरूरी है । अपना छोटा सा नगर है अस्पतालों में आग लगने के खतरे तो बडे शहरों में होते है, फिर भी----- फिर भी एक-दो सही, फायर ब्रिगेड अलर्ट मोड पर रखी जाए । ख्वाब में सबसे बड़े अधिकारी जिले के कलेक्टर ही हैं यह बात अलग है कि ख्वाब टूटने पर पता चलता है कि कब किसका कहां स्थानांतरण हो जाए । इस बात को ऊपर वाला जानता है लेकिन मानव सेवा के संकल्पित धनी इस पद पर बैठे लोग सदा आगे की सोच रखते हैं । ख्वाबों के बाग बगीचे जब तैय्यार होते हैं, तब एहसास होता है कि तमाम प्रकार के एनजीओ आम नागरिकों से इस बात का विचार विनिमय कर रहे हैं कि उन लोगों को बेनकाब कीजिए जो वक्त का फायदा लेकर जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करते है । सच में हम चाहे जितना पढ़ लिख जाए स्वार्थ के मैदान में अशिक्षित साबित ही होते हैं । दोनों हाथ से धन लूटने का प्रयास करते हैं । इसी लालच में कई महत्वपूर्ण लोग पिछले दिनों आपके हमारे बीच नहीं रहे ।
जहां तक बात चिकित्सकों की है उनसे भी आग्रह है कि वह अपने बीच ऐसे लोगों पर निगरानी रखें, जो कड़ी सुरक्षा में रखी गई दवाइयों को चूहों के हाथ में देकर समाज को बदनाम करते हैं । चिकित्सकों को तो कभी नाराज नहीं करना चाहिए ।
यह वर्ग-- वह है, जिसे भगवान का दर्जा प्राप्त है । किसी ने कहा है कि जब भगवान नाराज होता है तब वह चिकित्सक के पास भेजता है और जब चिकित्सक नाराज होता है तब वह भगवान के पास भेजता है । अच्छा हो कि सभी मिलकर आदरणीय चिकित्सकों को प्रसन्न रखें ताकि आपको और हमें इसी प्लेटफार्म पर बचाए रखें ।
यह कोविड-19 दुनिया भर के लिये नई बीमारी थी । अचानक आकर पैर पसार कर बैठ गई । इसकी दवाइयां नहीं इसके इलाज करने वाले अनुभवी चिकित्सक नहीं इसके परंपरावादी मरीज भी नहीं ऐसी स्थिति में सभी के लिए नया अनुभव था । खूब गड़बड़ियां हुईं जिससे मौत के आंकड़े बढे और पहली बार एहसास हुआ कि आदमी के शरीर के अंदर इम्यूनिटी क्या होती है , उसे कैसे बढ़ाएं रखा जाता है अगर वह ठीक ठाक है तो निजी अस्पतालों की बेतहाशा लूटमार से बचा जा सकता है । अपने जीवन को भी बचाया जा सकता है और अगर इम्युनिटी डाउन है तो चारों तरफ से बर्बादी है इसी सोच ने बस ! घबराहट पैदा कर दी और नींद टूट गई , ख्वाब बिखर गए।
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