""संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर की 210 मेगावाट की 4 ईकइयों में कोयले की ज्वलनशीलता बढ़ाने के नाम पर""
*पांच करोड़ के कम्बसचन एडिसिव पाउडर की गैरजरूरी खरीदने के आदेश*
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*प्रदेश के अन्य ताप विद्युत ग्रहों के लिए भी खरीदी का बिठाया जा रहा गुडूकतान*, *विशेषज्ञों ने खरीदी के औचित्य पर लगाया प्रश्नचिन्ह*
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अजय जायसवाल संभागीय ब्यूरो
शहडोल-l संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर की 210 मेगावाट की चार यूनिटों में लगने वाले कोयले की ज्वलनलशीलता बढ़ाने के नाम पर पांच करोड़ रुपयों का कोल कम्बसचन एडिसिव पाउडर खरीदी का आदेश जारी किया गया है, जबकि विशेषज्ञ इसे बिल्कुल गैरजरूरी और पैसों की बर्बादी बता रहे हैं । उनका कहना है कि एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांटो में पूरे देश भर में कहीं भी इस पाउडर का उपयोग नही किया जाता है । ऐसे समय में जब मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी ( जेनको ) के कर्मचारियों की वार्षिक वेतन बृद्धि, महंगाई भत्ते, मेडिकल क्लेम आदि का भुगतान वित्तीय संकट के नाम पर नही किया जा रहा है, तब करोड़ो रुपयों की यह अनावश्यक खरीदी क्यों और किसे फायदा पहुंचाने के लिये की जा रही है ।*
ज्ञात हो कि संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर की 210 मेगावाट की चार यूनिटों में लगने वाले कोयले की ज्वलनलशीलता बढ़ाने के लिए आदेश क्रमांक 692, दिनांक 04 जून 2021 के तहत ₹ 4 करोड़ 96 लाख 16 हजार 640 का कोल कम्बसचन एडिसिव पाउडर की सप्लाई का लेटर ऑफ इंटेंट (LOI ) सप्लाय का आदेश मेसर्स अभिटेक एनर्जीकॉन लिमिटेड कम्पनी को दिया गया है । इसके 8 वर्ष पूर्व 2013 और 2016 में इसी कंपनी से करोड़ों रुपयों का पाउडर खरीदा गया था । तब भी इस खरीदी पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए गए थे । यही वजह है कि लंबे समय तक दुबारा उसकी पुनरावृत्ति नही की गई । लेकिन 5 साल बाद फिर से बिरसिंहपुर की 210 मेगावाट की 4 इकाइयों के लिए कोल कम्बसचन एडिसिव पाउडर खरीदी के नाम पर पांच करोड़ रुपयों का बन्दरबाट किया जा रहा है ।
आखिर इस खरीदी की जरूरत क्यों पड़ी
विदित हो कि नवरत्नों में शुमार भारत के नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन ( एनटीपीसी ) का कोयला आधारित ताप विद्युत उत्पादन में विशिष्ट स्थान है । उनके विंध्याचल सुपर थर्मल पावर प्लांट सिंगरौली एवं कोरबा सुपर थर्मल पावर प्लांटों में लगभग 3 से चार दशकों से पुरानी यूनिटों के जरिये हजारों मेगावाट विद्युत सफलतापूर्वक उत्पादन के कीर्तिमान स्थापित हैं। इन दोनों थर्मल पावर प्लांटो को एनसीएल (NCL) की सिंगरौली तथा एसईसीएल (SECL ) की कोरबा की कोयला खदानों से अधिकांशतः कोयला आपूर्ति होती है। इन्ही कोयला खदानों से मध्यप्रदेश जेनको के संजय गांधी थर्मल पावर प्लांट बीरसिंहपुर को को भी रेल रैकों से कोयले की आपूर्ति 30 वर्षों से की जा रही है । कम्पनी के आला अधिकारी यह बताने में विफल साबित हुए हैं कि आज अचानक कोल कम्बसचन एडिसिव पाउडर की आवश्यकता क्योंकर आन पड़ी ?
पूर्व एमडी नंदा साहब पाउडर खरीदी का प्रस्ताव मंजूर नहीं किए थे
एनटीपीसी से मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कम्पनी में आये सेवानिवृत्त पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर ए. के. नंदा के समय जब इसी ( कोल कम्बसचन एडिटिव ) पाउडर की खरीद का प्रस्ताव रखा गया था तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया था । उनका कहना था कि एनटीपीसी में कहीं भी इस कोल एडिसिव पाउडर का उपयोग नही होता । इसकी खरीदी अनुपयोगी और गैर जरूरी है । बावजूद इसके जेनको के पॉलिसी मेकर्स को आदि यह आवश्यक लगता है तो प्रदेश के सभी प्लांटो के लिए एक साथ सेंट्रल परचेस का खुला टेंडर क्यों नही निकाला जाता । यूनिट वाइज खरीदी की सेटिंग करके कतिपय सप्लायरों से करोड़ों का पाउडर खरीदना प्रदेश और जेनको हित मे नही है । उनकी इस कठोर टिप्पणी के बाद उस समय कोल कम्बसचन एडिटिव पाउडर की खरीदी
ठंडे बस्ते में चली गयी थी । परंतु उनके मप्र जेनको से स्तीफा देकर जाने के बाद जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों ने निजी आर्थिक हितों के पोषण हेतु कोल कम्बसचन एडिटिव पाउडर की खरीदी का खेल फिर से खेलना शुरू कर दिया है । जेनको के आंतरिक सूत्रों की मानें तो जबलपुर में बैठे आला अधिकारियीं ने संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर के अधिकारियों के ऊपर दबाब देकर पाउडर खरीदी के प्रकरण बनावाया है ।
वर्ष 2013 में भी करोड़ों रुपए का खेल हो चुका
स्मरणीय है कि संजय गांधी ताप बिजली घर बीरसिंहपुर की 210 मेगावाट की यूनिट क्रमांक 1 के लिए
वर्ष 2013 में आदेश क्रमांक 587 दिनांक 01-10-2013 के तहत 24 लाख 11 हजार 640 रु और 210 मेगावाट की 1 और 2 नम्बर यूनिट के लिए आदेश क्रमांक 2649 दिनांक 29 -09-2016 के तहत 1 करोड़ 94 लाख 75 हजार 840 रु का कोल कम्बसचन एडिसिव पाउडर से खरीदा गया था । यही नही के अमरकंटक ताप विद्युत संयंत्र चचाई में भी 2015 -16 में 1करोड़ 72 लाख 80 हजार रु का यही पाउडर कार्यादेश क्रमांक 4576 दिनांक 10-01-2017 के मार्फत खरीदा गया था । गौर करने वाली बात यह है कि पिछली खरीदी भी अभिटेक एनर्जीकॉन लिमिटेड से ही खरीद गया था । तब इस खरीदी के उजागर होने पर जेनको में भारी खलबली मची थी और अधिकारियों को इस खरीदी का औचित्य सिद्ध करने में पसीने आ गए थे । इसके बाद से 5 वर्षों तक बिना कोल एडिसिव पाउडर के प्रदेश के थर्मल प्लांटो में बिजली का उत्पादन होता रहा और अक्टूबर 2020 से जनवरी तक इन्ही पुरानी 210 मेगावाट की यूनिटों से इसी कोयले से 85% से 90% तक बिजली का उत्पादन होता रहा है, बावजूद इसके कोल एडिसिव पाउडर की खरीदी किया जाना गहरे आर्थिक घोटाले का इंगित जान पड़ता है ।
चचाई में भी कुचक्र रचा जा रहा
पता चला है कि अमरकंटक थर्मल पावर प्लांट चचाई जो कोल पिट हेड के समीप है और जहां महज 10 किलोमीटर दूर सोहागपुर एरिया की ओसीएम कोयला खदान से उत्तम ग्रेड का कोयला आता है तथा जिसके नाम देश में सबसे कम कोयला की ख़पत पर बिजली उत्पादन का कीर्तिमान है, वहां के लिए भी इस पाउडर को खरीदे जाने के टेंडर तैयार कराए जाने का कुचक्र रचा जा रहा है । इसी क्रम में 500 मेगावाट बीरसिंहपुर एवम सतपुड़ा थर्मल प्लांट सारणी नवीनतम सुपर टेक्नोलॉजी के संत सिंगाजी सुपर थर्मल प्लांट खण्डवा के लिए भी शक्तिभवन के जिम्मेदार अधिकारियों ने खरीदी के लिए केस बनाने के निर्देशों की जोरदार चर्चा है । वहां भी बिरसिंहपुर की तर्ज पर यूनिट वाइज खरीदी का केस तैयार किया गया है और निकट भविष्य में करोडो के कोल कम्बसचन एडिसिव पाउडर खरीदने की तैयारियां कर जेनको को चुना लगाने की तैयारियां कर ली गई हैं । जिस पाउडर के उपयोग और करोड़ों रुपयों की बरबादी पर तरह तरह के सवाल उठाए गए । जिसके औचित्य पर सवालिया निशान हैं । जानकारों का कहना है की मामले की जांच हाई पॉवर एक्सपर्ट कमेटी से गहन जांच कराई जाए ।
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