*आवारा कलम से* वरिष्ठ पत्रकार दिनेश अग्रवाल
शहडोल l सारे बड़े अधिकारी चिंता में डूब कर ज्ञान मंथन कर रहे थे । सभी के मस्तिष्क अलग-अलग थे, लेकिन मंथन का उद्देश्य एक था कि आखिर में प्रधानमंत्री आवास से फोन क्यों आया ? सर्वोच्च अधिकारी ने मध्यम अधिकारी से पूछा--- रात को क्या टाइम था जब फोन आया था ? मध्यम अधिकारी ने अपने मातहत अधिकारी से कान में कुछ पूछा फिर उसने सर्वोच्च अधिकारी को जवाब दिया --- यही कोई रात को 2:00 बजे होंगे, फोन की घंटी बजी ,दूसरी तरफ से आवाज आई-- प्रधानमंत्री आवास से बोल रहे है कई कमरों में पानी भर गया है, राहत टीम भेजिए और सर्वे टीम भी भेजिए बहुत नुकसान हो चुका है । लंबी गहरी सांस लेकर सर्वोच्च अधिकारी ने कहा यह सब तो ठीक है, टीम भेज देंगे लेकिन आस पास इतनी सारी नगर पालिका है बड़े-बड़े नगर निगम है महानगरपालिका है , फिर इतनी छोटी जगह में फोन करके रिलीफ टीम बुलाना, समझ के परे है । तभी मध्यम अधिकारी ने चिंतन में सहयोग देने की भावना से कहा सर ! ऐसा भी हो सकता है कि उनका हम पर अटूट विश्वास हो, इसलिए सीधा फोन आ गया, वैसे भी आपने देखा होगा कि दलित और छोटे लोगों को हमेशा ऊपर उठाने की उनकी परंपरा रही है शायद इसी भावना से फोन आया हो । तब किनारे खड़े एक अधिकारी ने एक्सक्यूज करते हुए कहा कि सर! बुरा ना माने तो उनको पहले मुख्यमंत्री जी से बात करना चाहिए थी, सर्वोच्च अधिकारी बोले नहीं नहीं सीएम साहब कोई फालतू बैठे रहते हैं उनको भी तो 50 तरह के काम है , कितनी समस्याएं उनके सामने हैं क्या हुआ जो उन्होंने सीधी बात कर ली तो--। पूरे कमरे में गहरा सन्नाटा छाया था । किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सी सलाह दी जाए, इस समस्या को कैसे सुलझाया जाए कि तभी अचानक चपरासी ने आकर कहा सर! कार्यालय के बाहर 20-25 लोग नारे लगा रहे हैं, आपसे मिलना चाहते हैं । सर्वोच्च अधिकारी ने कहा मुझे पता करके बतलाओ कि कौन लोग हैं, वह क्या चाहते है ?
थोड़ी देर बाद चपरासी फिर लौटा तो उसने बताया कि
सर! नारे लगाने वाले सभी लोग इसी पालिका क्षेत्र में खींच तलैया के पास के निवासी है, उन सभी का कहना है कि रात को जो पानी गिरा वह नालियों से होकर उनके घर में चला गया सर्वोच्च अधिकारी तुरंत चौक कर बोले यार यह सभी लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही तो नहीं है और जब इस बात को पूछा गया तो वही अनुमान सही निकला सारे आंदोलनकारी प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही थे जिनके घरों में रात को पानी चला गया था उन्हीं में से किसी ने रात को फोन किया और बोला की हम प्रधानमंत्री आवास से बोल रहे हैं इतना सुनकर अधिकारी की नींद उड़ गई । उसने दाएं बाएं नहीं सोचा और कई वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाकर चिंतन मंथन करने लगे कि प्रधानमंत्री आवास से फोन आने के बाद वहां कैसे राहत दी जाए सर्वोच्च अधिकारी ने जोरदार लताड़ लगाते हुए निर्देशित किया कि पूरी बात सुनने के बाद चिंता प्रकट की जाया करें ।
जाइए इन सभी हितग्राहियों के साथ मौके पर पहुंचकर इनकी समस्या का निदान कीजिए ।
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