*आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
हे ! लहरों के नियंता ,
गरीबों के भगवंता आपका वंदन है । कोरोना की समस्त काया- माया का हरण
कर, पूर्ववत जीवन का वरण करने वाले, विश्व- यश प्राप्त, महापुरुष इस विराट वसुंधरा पर वैक्सीनेशन का अंतरराष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करने वाले आपका अभिनंदन है ।
समस्त राज्य की माटी को चंदन बनाकर अपने मस्तक पर धारण करने वाले, विभिन्न आरोपों को भस्म कर ऋण लेकर विकास पथ- प्रशस्त कर जनता जनार्दन को प्रतिपल खुशहाल रखने वाले- आपका हार्दिक स्वागत है ।
हे ! अल्पमतधारी, बहुमत को कर धराशाई भीतरीय दलीय असंतोष का विष- कंठ में धारण करने वाले, मधुर वाणी के धनी,
सशक्त नेतृत्व दायक जन नेता के आगमन पर समाज का सबसे पीछे खड़ा दीन-- हीन हितग्राही का स्नेह पुष्प स्वीकार कर, उसे धन्य करो महानायक !
शहडोल की जनता को लंबे अरसे बाद दर्शन- लाभ का शुभ- अवसर देने का आनंद अवर्णित है । कैसे बतलायें कि यहाॅ
अप्राकृतिक लापरवाही के चलते चौबीस नौनिहालों की अकाल मृत्यु से चीत्कार करती ममता और ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ चुकी चार दर्जन जिंदगियों की असहनीय दर्दनाक पीड़ा के बाद आपका
यह प्रथम आगमन भी मरहम लेप की भांति
सुखदायक है ।
हे ! जननायक वरदान स्वरूप प्राप्त यहां का रोगाणु नियंत्रक गुरुकुल (मेडिकल कॉलेज) सचमुच कई असाध्य रोगों से स्वयं अभिशप्त है । जगह-- जगह से लीकेज ऑक्सीजन पाइप लाइन से ही यमराज का यहां आगमन होता है ।
इस प्रवेष द्वार को बंद करा कर याचक स्वरूप भर्ती असहाय मरीज को जीवनदान
दिलाओ प्रभो ।
चिकित्सक विहीन इलाज का दीर्घकालीन मंचन यहां हो चुका है । दर्दीला क्रंदन भले ही मालवा के पठार को स्पर्श न कर पाया हो, परंतु यहां के जनमानस को झकझोर गया और अनेकानेक अविस्मरणीय दंश छोड़ गया । इस अभावग्रस्त संस्थान पर कृपा करो कृपानिधान ताकि जीवन दायक बने यह संस्थान ।
हे ! कीर्ति नायक यही धरा है, जहां धान खुले गगन तले पड़ा है । किसान भी चकित है खेत खाली है और
हवाई पट्टी पर धान अंकुरित है ।
अतिथि विद्वान आपके आश्वासनों पर थाम कर बैठे हैं आसमान । आपके मायावी जाल को पक्षीय-- विपक्षीय कोई भी भेदने की क्षमता नहीं रखता ।
आप स्वयं जब तक ना चाहो तब तक आपका बाल बांका नहीं हो सकता । ऐसा लोगों का भी है मानना और ऐसी ही है आपकी योग साधना ।
प्रभो!
पिछले डेढ़ दशकों के कंटक मुक्त व अकंटक शासन में कुपोषण का दंश आगे भी स्थाई रहेगा क्या ?
बाल गोपाल, हवा-हवाई हैं । इन्हें ताकतवर करने वाले सभी प्रयास उनको मिल रहे हैं जो खा रहे हैं योजनाओं का च्यवनप्राश ।
आपकी निगरानी से संवर जाती उनकी भी जिंदगी ।
हे ! जनार्दन आप भले ही समझें स्वयं को पुजारी परंतु जनता उतारती है नित आपकी आरती ।
आप भले ही पीते रहें जहर लेकिन अब मत लाएं तीसरी लहर । ऐसा करो कुछ इंतजाम कि हर हाथ को मिल जाए काम ।
यहां सब ठीक है, बाकी राम-राम ।
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