*आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
शहडोल l हमारे शहर में मिलकर अगर कोई काम होता है तो वह है व्यवस्था को कोसना--। सुन लो ! हमारे शहर का यातायात अच्छा नही है, जहां तक मेरी बात है, मैं तो अच्छे से गाड़ी चलाता हूं और सारे नियमों का पालन भी करता हूं लेकिन मेरे सामने जो आता है , वह किसी नियम का पालन नहीं करता और मैं दुर्घटना का शिकार होता हूं ।
पुलिस चालान काटती है घर के लोग आजादी छीन लेते है । हम बाहरी
अधिकारियों से आग्रह करते है, अपील करते है,
अनुरोध करते है,और तो और दादागिरी भी कर लेते है अगर चल गई तो
नेतागिरी भी कर लेते है बयानबाजी और डेलीगेशन तो मौलिक अधिकार है ।
शहर हमारा और हमारे बाप का है , गाडी हमारी और हमारे बाप की है, लेकिन यातायात व्यवस्था का जिम्मा बाहरी प्रशासनिक परदेसियों का है-----।
हम जानते है कि दशरथ बिजली के खम्भा की आड लगा कर पान ठेला चला रहा और पान के शौकीन सारे सलमान खान और देवानंद ठेला के सामने अपनी महंगी मोटरसाईकिल खडी करके क्रिकेट पर घन्टों से किटकिटा रहे ।आने जाने वाले बच -- बच के निकल रहे । ट्राॅफिक जाम ।
नजूल की जमीन पर बिना नक्शा के हवेली तान के जमे मनोहर लाल अखबार में रोज खबर छपवा रहे कि
मेरे घर के पास रोज वाहन भिडते है और यातायात पुलिस इन्ट्री
वसूली में व्यस्त, व्यवस्था ध्वस्त । अधिकारी मस्त ।
रोड के गड्ढे बतलाते है कि मोहनजोदडो और हडप्पा संस्कृति के पहले की सडक हमारे शहर की धरोहर है जिसके प्रेम में हर दूसरे दिन बच्चे-बूढे गिरते पडते है ,लेकिन यातायात प्रभारी बे-खबर है ।
अरे !शहर के सभी
होशियार साथियो अपने शहर की शोभा बढाने आगे बढ कर कलेक्टर से बोलो कि नजूल,विद्युत,यातायात पुलिस, नगरपालिका और लोकनिर्माण विभाग के साथ -साथ दो चार जनप्रतिनिधियों की एक समिति बना दें, जो तय करे कि सडक मरम्मत कब तक होगी ?
विद्युत पोल कब तक शिफ्ट होगे ? पालिका
अतिक्रमण कब हटवायेगी ? आटो व रिक्शा स्टैण्ड का स्थल चयन कब तक होगा ?
आर टी ओ की आकस्मिक जांच कब और कहां होगी ?
भारी वाहनों का प्रवेष
कब निषेध होगा ?
वन-वे करने की क्या संभावनायें है ?
देखिये फिर यातायात व्यवस्था क्या रंग लाती है । एक अकेला चना भाड नहीं फोडता ।
साथी हांथ बढाना---
एक अकेला थक जायेगा
मिल कर बोझ उठाना ।
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