*आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
शहडोल l योग साधना से निवृत्त होकर मैं समाधि में क्या चला गया, कि मन अपने आप गुनगुनाने लगा ,
"रे बाबा, तुझसे मिलने को दिल करता है" ।
"ओ बाबा, तुझसे मिलने को दिल करता है" ।
ये पंक्तियां दो तीन बार ही गुनगुनाया था कि फट्टी बाबा समाधि में प्रकट हो गए, मैंने आश्चर्य से पूछा बाबा ! आप यहां कैसे अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बाबा बोले बच्चा, अभी-अभी तो तुमने याद किया । बड़े सुर में कहा "रे बाबा तुमसे मिलने को दिल करता है" ।
मैं आ गया बोल क्या परेशानी है ?
मैंने कहा यह कोई बात होती है ।
हाॅ ! बच्चा , बोल -दिल के दरवाजे खोल ।
अरे, बाबा! क्या दिल के दरवाजे खोलें-- बस, यह मान के चलो कि अभी-अभी देश फटी से उभरा है ।
क्या बच्चे ,क्या जवान, क्या महिलाएं, क्या बुजुर्ग, क्या जनता, क्या सरकार , बाबा ! सब फटी में थे ।
अभी- अभी बाजार क्या खुले हैं, कि आंखें खुल गईं । क्या हालचाल बताएं ? बाबा, ऐसा समझो कि दुकानदार पीला है और ग्राहक लाल है।
जीवन साला ऐसा हो गया कि रस रहा ही नहीं बिल्कुल नीरस जीवन हो गया । खुशियां, उमंग, उत्साह ,रस्मो- रिवाज त्यौहार सब तेल, लेने चले गए।
बस ! कानों में गर्म तेल की तरह ऐसी आवाजें पड़ती हैं कि दूर भागने का मन करता है । बाबा बोले, हिमालय की ओर जा बच्चा , किसी गुफा में बैठ और भगवान की भक्ति कर वही तेरा कष्ट निवारण करेगा ।
मैंने कहा बाबा, अभी सादा कर्फ्यू ,जनता कर्फ्यू और कोरोना कर्फ्यू के दौरान पूरा किचिन गुफा के समान हो गया था । वहां न कोई सामान था और ना सामान लेने का अरमान था जीवन अपने आप में एक घमासान था और परेशानी में डूबा सिर्फ इंसान था बाबा । अब तो आप ही नैया पार करो ।
बाबा बोले, बेटा ! क्या महंगाई से डर लगता है ?
हां ! बाबा हां !
सरसों का तेल दो सौ रुपए के ऊपर उछाल मार रहा है बाबा ।
बाबा ने सवाल किया बेटा कभी दीए जलाए थे मैंने कहा हां बाबा !
एक रात को जब राष्ट्र के मसीहा ने आवाहन किया था कि आज रात को दीए जलाओ तब सारे देश ने दिए जलाए थे बाबा।
बस बेटा--- बस !
तेल महंगा वहीं से हुआ था जानते हो क्यों इसलिए कि सवा करोड़ लोगों ने अगर दस -- दस बीस --बीस दिए ही जलाए तो सवा करोड़ की आबादी से उसका गुणा कर दो -
हर दिए में 10 ग्राम तेल तुम लोगों ने जला दिया इस हरकत से सरसों का तेल तो महंगा होना ही होना था ।
बाबा वह तो कोरोना को भगाने के लिए था ।
बाबा ने कहा नहीं बेटा नहीं वह महंगाई माता जी को बुलाने के लिए आवाहन था ।
बाबा सवा करोड़ लोगों ने जो थालियां बजाई, वह क्या था ?
बेटा ! जब महंगाई आ ही गई है तो सवा करोड़ लोग अब सिर्फ थालियां ही बजाएंगे ना ।
बाबा ने बड़ी खूबी के साथ समझाया कि बेटा जब मांग बढ़ती है तब दाम बढ़ते हैं मैंने बड़े भोलेपन से कहा
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