*आवारा कलम से* Dinesh दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
शहडोल l काफी दिनों पहले शिक्षक अपने स्टूडेंट का कान पकड़कर उसके घर ले गया । कारण यह था की स्टूडेंट बडे मैदान में खड़े होकर , लघु शंका कर रहा था । शिक्षक का उद्देश्य था कि उसके, पिताजी से डांट पड़ेगी तो लड़का सुधर जाएगा , परन्तु घर पहुंच कर शिक्षक ने देखा कि उसके पिताजी पेड़ के ऊपर चढ़कर वहां से लघुशंका कर रहे थे । शिक्षक वही दरवाजे के बाहर स्टूडेंट को छोड़कर वापस आ गया ।
कुछ दिन बाद शिक्षक के सामने उसके सहयोगी शिक्षक ने प्रस्ताव रखा कि राम मंदिर के नाम पर कुछ लोग ठगी कर रहे हैं ।
क्या यह उचित है ? शिक्षक को स्टूडेंट और उसके गार्जियन का वाक्यात याद था ।
तपाक से शिक्षक ने कहा आप इस बीच में क्यों पड़ते हैं ?
राम की चिड़िया ,
राम का खेत ,
खाओ री चिडिया,
भर--- भर पेट । सारी लीला प्रभु राम
की है ।
दे भी वही रहे है और
ले भी वही रहे हैं ।
सहयोगी शिक्षक ने कहा नहीं, इसकी शिकायत बड़े स्तर पर होनी ही चाहिए ।
शिक्षक ने उसे फिर समझाया, कितने बड़े स्तर पर करोगे शिकायत ?
जब बड़े लोगों के बयान आ गए थे कि हम किसी भी कीमत पर मंदिर बनाएंगे , तो अब कीमत के ऊपर ध्यान क्यों लगाया जा रहा है ।
जमीन हो या आसमान वह किसी भी कीमत पर मिले ले लो ।
जानते हो ना जहां शिकायत करने की सोच रहे हो उन्होंने भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कीमत नहीं देखी ।
याद है ना ! राॅफेल का सौदा ? तो फिर किसी भी कीमत पर मिला ले लिया । विपक्ष का काम है आरोप लगाना और चीखना चिल्लाना उसे अपना काम करने दो देखें जहां तक बात आती है राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक आस्था की इन दोनों मामलों में राजनीति नहीं होना चाहिए ।
आप शांत रहें, सब ठीक हो जाएगा । अपने यहां जो किताबें आती उनकी क्या कीमत होती है और किस कीमत पर बेची जाती है , ?
फिर आपने देखा होगा , अभी कोरोना के दौरान इंजेक्शन हो या गैस सिलेंडर हो ,
विस्तर हो या अस्पताल हो , जिस कीमत पर जिसे मिले उसने वह कीमत अदा की या नहीं की ? नमक हो या रेत हो तेल हो या दाल हो सीमेंट हो या सरिया हो, सब्जी हो या फल हो जिस कीमत में मिलती है उस कीमत में खरीदी जाती कि नहीं ?
तो क्या घर का घर में भ्रष्टाचार हो जाता नहीं ना आप क्या इतने परेशान हैं जबकि सब जानते हैं कि
*सबही नचावत*
*राम गोसाईं*
समझते हुए बड़े विश्वास के साथ सहायक शिक्षक ने अपनी सहमति देते हुए कहा कि राम का नाम आया तो हमें याद आया कि आप भी
रामविलास पासवान को जानते ही होंगे अभी 1 साल अलविदा को नहीं हुआ कि उन्हीं के भाई ने भतीजे को गच्चा दे दिया शिक्षक ने फिर समझाया ऐसी बातें अपन लोगों को नहीं करना चाहिए शिक्षक है शिक्षा से काम रखें जब स्कूल खुलेंगे, तब देखा जाएगा ।
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