धर्म युद्ध अभी शेष है
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ज़िहादी नारों की
भयावहता से
कम्पित आसमान
और धर्म युद्ध के
युद्ध घोष से
भयभीत
धरती के मध्य
कुछ पंछी उड़ रहे हैं
पंख फड़फड़ाते हुए
इधर से उधर
घोंसलों में छुपने को
घोंसला बचाने को
और इस मानसिक
उन्माद के भीषण तम
संघर्ष में
इंसान नहीं मरते
मरते हैं
आँकड़ों की फेहरिस्त में
मरते हैं कुछ हिंदू नाम
तो कुछ मुस्लिम नाम
सच तो यह है कि
इंसान नहीं मरते
क्योंकि इंसान
लड़ते भी कहाँ हैं
लड़ती हैं आदिम भावनायें
श्रेष्ठता की
ओछी मानसिकता
क्रूरता की
पाशविक प्रवृत्ति
धार्मिक किताबों की
अधार्मिक व्याख्या
लड़ते हैं
ईश्वर के नाम पर
ईश्वर के बनाए
पुतले
लड़ती हैं
ईंट और गारों से बनीं
मस्जिदें, मंदिर
गुरुद्वारा और चर्च
स्याह सच को
झूठ की सफेदी में
लपेटकर
धर्म ध्वजा उठाये
लोग मानवता के
सीने में गाड़ दिए हैं
तमाम तंबू
ऊँचे-ऊँचे
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में
तब्दील हो गए हैं
तीर्थ स्थल और दरगाह
और इन ऊँची दुकानों से
चीखते चिल्लाते लोग
बेच रहे हैं
धर्म की किताब
ताबीज और स्वयं भगवान को
आओ हम
इंसानियत से
एक पायदान उतरते हैं नीचे
क्योंकि
धर्म युद्ध अभी शेष है
और इंसान बने
तो मार दिए जायेंगे
असभ्यता
आदिम मन में
आज भी अशेष है
क्योंकि धर्म युद्ध
अभी भी शेष है
श्री शशि मोहन सिंह
(आई.पी.एस.)
कमांडेंट 9th बटालियन
दंतेवाड़ा (छ.ग.)
: छत्तीसगढ़ राज्य के आईपीएस अधिकारी जो सिंघम के नाम से प्रसिद्ध हैं और बेबाक कविता लेखन के लिए जाने जाते हैं
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