*आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
----दादाभाई---- --------ओएनजीसी------
शहडोल विकास की रफ्तार पकड़ कर मंगल ग्रह तक पहुंच जाए यह हमारी शुभकामनाएं है । हम कभी विकास का विरोध नहीं करते और ना इसे विरोध समझा जाए व शर्तें यह कहने की हिम्मत जरूर रखते हैं कि शहडोल में पेट्रोलियम पदार्थों की खोज अथवा सर्वे के नाम पर ओएनजीसी नामक कंपनी इन दिनों पूरी दादागिरी और गुंडई के साथ काम कर रही हैं आश्चर्य इस बात का होता है कि उसे काम करने की स्वीकृति देने वाला मध्यप्रदेश शासन और शहडोल जिला प्रशासन अपने आदेश में इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि कंपनी जो भी काम करेगी वह भूस्वामी की सहमति से काम करेगी लेकिन कागज पर लिखी हुई इस इमारत को नजरअंदाज करके ओएनजीसी नामक दादाभाई तो तमंचा और कट्टे की ताकत पर ग्रामीणों के खेत उजाड़ रही है।
अनूपपुर जिले के सोना टोला से शहडोल जिले के सोंन टोला तक इस कंपनी ने दो तरह की नियम अख्तियार किए है । एक स्थान पर जब उसने सर्वे कार्य किया और जमीन के नीचे बारूद लगाई वहां के किसानों को प्रति किसान ₹5000 का मुआवजा अथवा क्षतिपूर्ति राशि अथवा सहमति नजराना पेश किया। जब यही कंपनी शहडोल जिले के सोन टोला और असवारी के बीच काम करने पहुंची तब ग्रामीणों के सामने पुलिस बल को तैनात कर दिया गया ।दादागिरी दिखलाई । धौस और धमकी के बल पर काम आगे बढ़ाया। ऐसी स्थिति में लाचार बेबस, निर्धन, दयनीय, और मूक बधिर किसान जब प्रशासन की देहरी पर माथा टेकने पहुंचे तो उन्हें वहां से भी सार्थक जवाब नहीं मिला ।दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का दंभ भरने वाले भारतीय किसान जिसे इस देश की अर्थव्यवस्था में रीढ की हड्डी कहा गया है उसे किस तरह से थोड़ा जा रहा है, इसका नजारा यही जिला मुख्यालय की नाक तले देखने को मिल रहा है ।
आश्चर्य है कोई दल और कोई बल इस निर्बल के लिए सामने खड़ा नहीं दिख रहा है । इस अफसोस जनक स्थिति के लिए हम केवल संवेदनाओं के फूल ही अर्पित कर सकते हैं ।
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