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संत रविदास जी का पुण्य स्मरण

 ❤️

   *सतगुरु रविदास जी  चमत्कारी नहीं*

               *आविष्कारी थे।*

 *वे जातिवाद, वर्णवाद, आडम्बरवाद,* *पाखंडवाद, ब्राह्मणवाद, ईश्वरवाद के*

               *कट्टर विरोधी थे।*

*वह दानी थे, ज्ञानी थे, और विज्ञानी थे*

 उन्होंने माथे पर टीका, माला, हवन-पूजन, अंधविश्वास, देवी-देवता, मूर्ति-पूजा, पराधीनता, चोरी-जारी, नशाखोरी, वेद-पुराण और राम-कृष्ण का खंडन करते हुए समता, समानता, बंधुता, न्याय, शिक्षा, संगठन और संघर्ष पर जोर दिया था। इसके अलावा उन्होंने सामाजिक ऋण भुगतान करने के लिए भी उपदेशित किया था।

सतगुरु रविदास जी हिंदी,अवधि, अरबी, फारसी, संस्कृत और पाली भाषा के ज्ञाता थे।  *वह पंजाबी भाषा 【(गुरुमुखी) (गुरु के मुख से निकली भाषा)】की वर्णमाला के रचयिता थे।*

जब सन 1604 में सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहब  कंपाइल किया था, तो सतगुरु रविदास जी की 40 बानिया गुरु ग्रंथ साहिब में रखी थी। जबकि वह  स्वयं अपनी 3 वाणियों को ही स्थान दे  पाए थे।

*यही कारण है कि सिख अथवा पंजाबियों द्वारा जब गुरुद्वारे अथवा अखंड पाठ में आरती का सबसे पहला रिकॉर्ड बजाया जाता है तो वह सतगुरु रविदास जी का ही होता है।*

जाकर ध्यान से सुने...

 *कह रविदास नाम तेरो आरती......*

सम्राट अशोक समता समानता बंधुता और निष्पक्ष न्याय के पक्ष घर थे। उन्होंने अपने संविधान को स्याही की कलम से नहीं,बल्कि लोहे की कलम से पत्थरों पर खुदवा कर भारत से ईरान तक अपने संपूर्ण साम्राज्य में 84 हजार शिलालेख लगवाये थे। इसका अध्ययन करने के लिए सतगुरु रविदास जी महाराज ने पाली भाषा भी सीखी और वह ईरान तक यात्रा पर भी गए थे।

*वह सतगुरु रविदास जी ही थे, जिन्होंने सम्राट अशोक के साम्राज्य को अपने कदमों से नाप दिया था*

इसीलिए उन्होंने लिखा था ---- 

*ऐसा चाहू राज मैं, मिले सबन को अन्न।*

*छोट बड़ सब सम बसैं, रविदास रहे प्रसन्न।*

 ईरान के आवादान शहर जाने का उल्लेख उनकी वाणियों में इस प्रकार मिलता है ...

*आवादानु सदा मशहूर*

*ऊहां गनी बसहि मामूर*


अवादान शहर में  सतगुरु रविदास जी महाराज ने अपने जीवन काल में एक बड़े शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी।  इस शहर में आज दुनिया का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना है तथा संत रविदास जी की स्मृति में *रविदास पीर मजार के नाम से स्मृति स्थल बना हुआ है।*


*सतगुरु रविदास जी को उनकी 644*

              *वी जयंती पर*

      *🙏कोटि-कोटि नमन🙏*

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