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मौत को आमंत्रण देते ऑटो रिक्शा

 

शहडोल*आवारा कलम से* टैक्सियों का मायाजाल जीवन की एक आवश्यकता में तब्दील  हो गया है । अब किसी भी शहर की या कस्बे की कल्पना बिना आटो अथवा टैक्सी के नहीं की जा सकती । यू ही चलता रहा तो

 टैक्सियों की बढ़ती संख्या बहुत बड़ी समस्या खड़ी करने वाली है ।

    इस वक्त शहर में हजार से डेढ़ हजार टैक्सियाँ संचालित होगी, एक टैक्सी पर दो व्यक्ति के हिसाब से 3000 बेरोजगार रोजी-रोटी से लगे हैं । हम नहीं चाहते कि यह बेरोजगार हो लेकिन इतना जरूर हो कि टैक्सिया व्यवस्थित चलाएं ताकि किसी यात्री का किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि  टैक्सी चालकों के और यात्रियों के बीच  दो बातों पर विवाद होते हैं  एक किराए को लेकर  और दूसरा  सामान छूट जाने पर यात्रियों का कहना है  कि अगर टैक्सियों पर  भाड़ा सूची चस्पा हो  तो यह विवाद फिर पैदा नहीं होगा  दूसरी समस्या के लिए उनका कहना है  कि हर टैक्सी ऑटो पर  एक कोड नंबर  स्पष्ट हो और नीचे कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर  लिखा हो ताकि सामान यदि टैक्सी में छूट जाए तो उसे ढूंढने में आसानी रहे। इस समय तो हालात ऐसे हैं कि घरौला मोहल्ले से बस स्टैंड जाने वाली टैक्सी अगली सवारी मिलते ही जयसिंह नगर के लिए निकल जाती है अथवा बुढार होकर जैतपुर के लिए चली जाती है।

   शाम ढलते ही 60 से 70 टैक्सिया ग्रामीण मजदूरों को भरकर आसपास के 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करने में लग जाती है , उनका इस काम में लगना युद्ध स्तर पर होता है । इसे सरल भाषा में कहें तो एक टैक्सी के अंदर आरटीओ की शब्दावली में 3 लोग आते हैं और मेरी अपनी नजरों से देखे गए नजारे ऐसे थे कि आरटीओ विश्वास ना मानेगा क्योंकि  सवारी के ऑटो से 30 सवारियां बाहर आई थी । इनकी स्पीड चालक की मनोदशा पर निर्भर करती है रास्ते अपने यहा के जर्जर और बेकार है फिर भी ऑटो और टैक्सियों अपना सफर पूरा कर रहे हैं ।   हालात ऐसे हैं कि आटो पलट भी जाए खेत में तो उसे सीधा करके सवारियां धूल झाड़ कर फिर से अपने अपने स्थान पर बैठ जाती हैं यही ऑटो नेशनल हाईवे पर स्टेट हाईवे पर 35 सीटर  सवारी बसों के आगे आगे ऐसी शानो शौकत से चलते हैं कि जलवा देखने लायक रहता है । बस का स्टाफ *सवारी चोर* के नाम से पुकारता है । सवारी भी, अब, बस की जगह  ऑटो और टैक्सियों को इसलिए पसंद करने लगे कि यह उन्हें बस स्टैंड पर ना उतार कर उनके घर के आंगन में जाकर उतार आते है। वैसे एक रीति नीति होनी चाहिए आरटीओ की अपनी ही परिभाषा में ऑटो में तीन और टैक्सी में 10 से अधिक सवारिया नहीं दिखनी चाहिए ।

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